अंकुर था सींचा नहीं, की यह कैसी भूल !
सूख गया हैं गात जब, क्या सींचे रे मूल !!
रोय रही रजनी बेचारी, खोय गया मान है !
आ गया बादलों का उत्सव, लो गर्जन गान है !!
बिजुरी की चमक डराय रही , करे पवन आघात , ,,
नींद सितारों की खोय गयी , कैसा व्यवधान है !!... ''तनु''
निर्दय होकर तोड़ना, मत करना ये भूल !
शोभित होते डाल पर, रंग बिरंगे फूल !!
अफवाहें तो झूठ है, और सभी निर्मूल !
करके विश्वास इनपर, मत करना यह भूल !!
अच्छी बात है अच्छी, बुरी बात है शूल !
चुभे शूल तो दर्द है, मत करना यह भूल !!
अंकुर सँवार लीजिये, बाकी सब निर्मूल !
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''
सूख गया हैं गात जब, क्या सींचे रे मूल !!
रोय रही रजनी बेचारी, खोय गया मान है !
आ गया बादलों का उत्सव, लो गर्जन गान है !!
बिजुरी की चमक डराय रही , करे पवन आघात , ,,
नींद सितारों की खोय गयी , कैसा व्यवधान है !!... ''तनु''
निर्दय होकर तोड़ना, मत करना ये भूल !
शोभित होते डाल पर, रंग बिरंगे फूल !!
अफवाहें तो झूठ है, और सभी निर्मूल !
करके विश्वास इनपर, मत करना यह भूल !!
अच्छी बात है अच्छी, बुरी बात है शूल !
चुभे शूल तो दर्द है, मत करना यह भूल !!
अंकुर सँवार लीजिये, बाकी सब निर्मूल !
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''