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Saturday, August 4, 2018

मैं जितनी मुस्कान बखेरता हूँ !


चोटियाँ कहती जलती वादी है !
बात सबके लिए बड़ी सादी है !!

मैं जितनी मुस्कान बखेरता हूँ !
मेरे अंदर उतनी ही बर्बादी है !!

ग़मों से मैं भी मर न जाऊँगा !
 नाखुश रहूँ  इतनी नाराजी है !!

ज़रा ज़रा से दाग़ हैं दिल पर !
फिर कहीं थोड़ी नाइंसाफ़ी है !!

समझता ही नहीं कोई किसी को !
हर कदम पे नाइत्तफ़ाक़ी है !!

इक गोशा मैंने अपने लिये रखा !
कहते हैं,   की ''तनु'' गुस्ताख़ी है !!... ''तनु''

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