कब कहाँ रौंदा हुआ हूँ !
सीधा कहाँ औंधा हुआ हूँ !!
हसरतें आँख से ग़ुम हुई !
और मांस का लौंदा हुआ हूँ !!
पाँवों पर पाँव हैं भीड़ के !
ज़लील और बोदा हुआ हूँ !!
आइये लेकर चलूँ आपको !
आसन बना हौदा हुआ हूँ !!
शोर कानों से पार हो चला !
बेसुरा बहुत भौंडा हुआ हूँ !!
आदमी या कि सामान हूँ !
ज़िंदा मगर धोंधा हुआ हूँ !!.. ''तनु''
No comments:
Post a Comment