Labels

Wednesday, August 22, 2018

कब कहाँ रौंदा हुआ हूँ !


कब कहाँ रौंदा हुआ हूँ !
सीधा कहाँ औंधा हुआ हूँ !!

हसरतें आँख से ग़ुम हुई !
और मांस का लौंदा हुआ हूँ !!

पाँवों पर पाँव हैं भीड़ के !
ज़लील और बोदा हुआ हूँ !!

आइये लेकर चलूँ आपको !
आसन बना हौदा हुआ हूँ !!

शोर कानों से पार हो चला !
बेसुरा बहुत भौंडा हुआ हूँ !!

आदमी या कि सामान हूँ !
ज़िंदा मगर धोंधा हुआ हूँ !!.. ''तनु''



No comments:

Post a Comment