छुपी सभी नाक़ामियाँ, परदे पीछे साँच !
कैसे पके ये खिचड़ी, धीरे से बिन आँच !!... ''तनु''
वह तो बिन थके चलता,दौड़ बुलाता भोर!
कैसे पके ये खिचड़ी, धीरे से बिन आँच !!... ''तनु''
वह तो बिन थके चलता,दौड़ बुलाता भोर!
कौन कह सकता रवि को, आलसी कामचोर!!
वह तो बिन थके चलता,दौड़ बुलाता भोर!
चुपचाप सब काम करे,बिना मचाये शोर !!
देखो जीवन काम का, बनो ना कामचोर!
सारे करते चाकरी, तब ही होती भोर !
धरती का गात सिमटा,फैल गये हैं लोग!
पेड़ों जमी धूल सहे, साँस साँस में रोग!!**"तनु"
जिंदगी छोटी सी अपना कोई उसूल तो रखना,
सफ़र लम्बा बहुत है कुछ सामान फज़ूल तो रखना!
बोझ कोई भी हो गुनाहों का बोझ कभी ना हो, ,,
बेख़ौफ़ चलने के लिये कोई रसूल तो रखना!!---"तनु"
सोने के समय जगते, उगते सूरज सोय!
पीर बहुत सी पालते, काया माया खोय
तुम मीठी सी मुस्कान धरो,
जगत के समस्त सुख को वरो!
जो सकल विश्व को मोह चली, ,
ओ रे नन्हे तुम हँसते ही रहो!!
तुम मीठी सी मुस्कान धरो,
जगत के समस्त सुख को वरो!
जो सकल विश्व को मोह चली, ,
ओ रे नन्हों तुम हँसते ही रहो!!
तुम मीठी सी मुस्कान धरो,
जगत के समस्त सुख को वरो!
जो सकल विश्व को मोह चली, ,
गुणवान बनों निखरते रहो!!
हौले हौले चाँदनी,सहमी सहमी आय!
सपनों के मोती यहाँ, पलक पलक बिखराय!!"तनु"
खाली गगरी मेघ की, फूल गये हैं कास!
मुड़ कर देखे न बदरा, है ऐसा आभास!!
खाली करके मेघ को, खिलती जाती कास!
तेरे बिन जी लूँ कहे , ,,बिन जल की मैं घास!! ***तनु
कास खिली बरखा गयी,धरती धारे धीर!
बादल बरसे उड़ गये, ऐसी सुखमय पीर!!***"तनु
जाना नदिया पार हो, इक ही साधन नाव!
और बैकुंठ जाइये, मनवा सत ले चाव!
इक ही साधन नाव है, जाना नदिया पार!
सत्यपालना कीजिये ,हो जाएं भव पार !!
हरित तृणों की नोक पर,श्वेत पुष्प संसार!
हँसती संग बयार के,ये कास की बहार !
बरखा अब तू लौट जा, काहे करती रार !
कास विदाई दे रहे,झूम झूम हर बार!!*** "तनु"
कच्चे फल क्यों तोड़ना, वे तो हैं रसहीन !
बीज को क्यों नष्ट करे, हो कर के मति हीन !!** "तनु"
कच्चे फल मत तोड़िये,वे होते रसहीन!
बीज को भी नष्ट करे,काहे को मति हीन !!** "तनु"
कच्चे फल मत तोड़िये,वे होते रसहीन!
बीज को भी नष्ट करे,काहे तू मति हीन !!** "तनु
कास तो एक घास है,उगती बारिश बाद !
श्वेत पुष्प की चाह में , होती है आबाद!! ... ''तनु''
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