जो मिला तुझसे वो आसमान रहा हूँ मैं !
ऐ हक़ीकते इश्क़ तेरा अरमान रहा हूँ मैं !!
देख ले अगर पाँव के छाले ये कटे पंख !
बाज़ुओं में दम मगर अहज़ान रहा हूँ मैं !!
तल्ख़ लहजे की ग़ज़लें तुझको न भायेंगी !
चीखता चिल्लाता बहुत बदनाम रहा हूँ मैं !!
लकड़ियां गीली कभी जली हैं जो जलेंगी !
अरमान मेरे जले कितना आसान रहा हूँ मैं !!
नज़रअंदाज़ मत करना बहारों मुझको !
गुलिस्तां में हवाओं का ईमान रहा हूँ मैं !!... 'तनु'
No comments:
Post a Comment