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Wednesday, August 1, 2018

नीम तले झूला नहीं,

नीम तले झूला नहीं,  टूट गयी है डोर !
सखियाँ हैं ससुराल में , दूर गए चित चोर !!

हिय में चुभती फाँस है, नीति की नहीं डोर !
कौन झुलाये झूलना,   नहीं किसी पर जोर !!

नहीं झूलना साँच का,  नहीं प्रीत की डोर !
कैसे मैं झूलूँ  सखी,      भूले नंदकिशोर !!.. ''तनु''

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