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Tuesday, August 28, 2018

चीर नभ को छू गयी है,

चीर नभ को छू गयी है, इक निराली बेल,
गात कोमल हरित पर्णा,  खेलती है खेल ! 
धूप आयी पर न आयी,   मन छुपाये मैल , ,,
उड़ रही है बदलियाँ भी,  देख रेलमपेल !!... ''तनु''

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