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Thursday, August 23, 2018

आदमी आदमी कहाँ रहता !


आदमी आदमी कहाँ रहता !
आँख आगे धुंआ धुंआ रहता !! 

राज़ दिल का बयाँ नज़रों से है !
 फिर निहां भी कहाँ निहां रहता !!

शोर में भी सुना, बला कितनी ? 
कौन यूँ भीड़ में तन्हा रहता !!

चाँद आये  गिला नहीं रातों !
वो कब दिन का जहां रहता !!

घोल गया है रगों ज़ह्र कोई !
आदमी अब ख़ुदा कहाँ रहता !!... 'तनु'


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