आदमी आदमी कहाँ रहता !
आँख आगे धुंआ धुंआ रहता !!
राज़ दिल का बयाँ नज़रों से है !
फिर निहां भी कहाँ निहां रहता !!
शोर में भी सुना, बला कितनी ?
कौन यूँ भीड़ में तन्हा रहता !!
चाँद आये गिला नहीं रातों !
वो कब दिन का जहां रहता !!
घोल गया है रगों ज़ह्र कोई !
आदमी अब ख़ुदा कहाँ रहता !!... 'तनु'
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