आपकी याद दिलाता है कोई ;
काँटों के जंगल उगाता है कोई !
आब और आग के इस दंगल में ;
मुझको खींचे लिए जाता है कोई !
साँस घुटती है की नब्ज़ रुकती है;
बेहोश हूँ मुझको जगाता है कोई !
आसमा ग़मगी ज़मी मरती हुई ;
आइना मुझको दिखाता है कोई !
कर करिश्मा ऐसा निजात मिले ;
अब कहाँ जाता है न आता है कोई !
खींच कर ओढ़ लूँ सिंदूरी चादर ;
मुझको तनहा किये जाता है कोई ! ... तनुजा ''तनु ''
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