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Thursday, November 24, 2016



तुम्हारे प्यार के मौसम जाकर नहीं आये  ; 
इन्तजार करती रही तुम जाकर नहीं आये  !

समझेगा कौन मेरे दर्द भरे आँसुओं को ;
बेनसीबी मेरी रही तुम जाकर नहीं आये ! 

दावतें सारी साथ तुम्हारे थी खुशियों की 
आ गये बुरे ज़माने तुम जाकर नहीं आये !! 

हमेशा से रौनकें ऐसी ही थी जमाने की ;
चले जो गए जहाँ से वो जाकर नहीं आये !!

कभी बुत कभी इंसा में कभी रहता जर्रे में ;
सभी रंग गए उस नूर में जाकर नहीं आये !!

इस बियाबां में काफिले कहाँ रुक पायेंगें ;
 ले के चल दिए सुकूँ वो जाकर नहीं आये !!... तनुजा ''तनु ''

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