कुछ है मुश्किल
ये जुबाँ कहती नहीं, कुछ है मुश्किल इसलिए ;
चुप रहना मुनासिब, भरी है महफ़िल इसलिए !
वही तो मेरे जी का सब्र-ओ-करार ले गया ;
जानते हैं सभी, क्यों बेकरार है दिल इसलिए !
जागती आँखों से देख रही हूँ प्रीतम के सपन ;
शब सुहानी चमके तारे मह-ए-कामिल इसलिए !
दिल ने चाहा ही नहीं, देखकर भी देखा नहीं ;
अब बता तू मेरे हाल से, क्यों है गाफिल इसलिए !
तिलमिला वो जाएंगे कातिल जो हमने कह दिया ;
कौन जाने कितने गैर अपनों में शामिल इसलिए !... तनुजा ''तनु ''
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