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Friday, November 18, 2016




कुछ है मुश्किल 


ये जुबाँ कहती नहीं,  कुछ है मुश्किल इसलिए ;
चुप रहना मुनासिब,  भरी है महफ़िल इसलिए !

वही तो मेरे जी का सब्र-ओ-करार ले गया ;
जानते हैं सभी, क्यों बेकरार है दिल इसलिए !

जागती आँखों से देख रही हूँ प्रीतम के सपन ;
शब सुहानी चमके तारे मह-ए-कामिल इसलिए !

दिल ने चाहा ही नहीं,  देखकर भी देखा नहीं ;
अब बता तू मेरे हाल से, क्यों है गाफिल इसलिए ! 

तिलमिला वो जाएंगे कातिल जो हमने कह दिया ;
कौन जाने कितने गैर अपनों में शामिल इसलिए !... तनुजा ''तनु ''



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