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Friday, November 25, 2016





जीते जी मर गये , कहानी कुछ और ही कहते ;

इल्ज़ाम सारे गये , कहानी कुछ और ही कहते !

परिंदा क्या जाने अदावत की कहानियाँ कैसी ;

घायल पर इसके कहानी कुछ और ही कहते !

ये किसने चमन से कलियों को तोड़ कर फेंका ;
कुचले हुए गुल भी कहानी कुछ और ही कहते !

कहिये ना खूबसूरत जहां में सोग क्यों बरपा है ;

कहते कुछ करते ,. कहानी कुछ और ही कहते !

मुझे और साहिल को क्यों चैन नहीं क्या जानू ;

समंदर ही दिल में,  कहानी कुछ और ही कहते !.. तनुजा ''तनु ''


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