जीते जी मर गये , कहानी कुछ और ही कहते ;
इल्ज़ाम सारे गये , कहानी कुछ और ही कहते !
परिंदा क्या जाने अदावत की कहानियाँ कैसी ;
घायल पर इसके कहानी कुछ और ही कहते !
ये किसने चमन से कलियों को तोड़ कर फेंका ;
कुचले हुए गुल भी कहानी कुछ और ही कहते !
कहिये ना खूबसूरत जहां में सोग क्यों बरपा है ;
कहते कुछ करते ,. कहानी कुछ और ही कहते !
मुझे और साहिल को क्यों चैन नहीं क्या जानू ;
समंदर ही दिल में, कहानी कुछ और ही कहते !.. तनुजा ''तनु ''
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