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Sunday, November 6, 2016






मनाऊँ मैं उमा सुत को




सजाकर दीप थाली में , पुराकर मोतियों आँगन !
अक्षत रोली मिठाई ले , जला कर्पूर औ चन्दन !! 

तुम प्रथम पूजित सकल देव भी तुमको मनाते हैं !
मनाऊँ मैं उमा सुत को, करूँ पूजन स्नेह सिंचन !!

तुम मयूरेश के भ्राता, तुम्ही हो ज्ञान के दाता !
बिना तुम कैसे हो पाये, कभी भी सार्थक चिंतन !!

चढ़ाकर माल दूर्वा की , करूँ मन वांछना पूरी !
पधारो देव साजो काज, कर जोड़ूँ  करूँ वंदन !!

बनाये भोग मोदक ही, यही अति  हैं तुझे भाते !
लगाओ भोग लम्बोदर, करो अंगीकार अभिनन्दन !!

कमी मुझमें अनेकों हैं,  सदा दुष्कर्म में डूबा !
मलिन मुख मैं गुण विहीना,भवतरा दो मैं अकिंचन !!... तनुजा ''तनु''









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