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Saturday, November 12, 2016








कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी  रोने न दे !

आस को मेरी रही, निगाहें भी रोने न दे !! 


मैं बुत हूँ मुझको नहीं मिलते मज़े मुहब्बत के !
दिल पत्थर बना गयी तक़दीर भी रोने न दे !!

दामन में खुशियाँ लिए हम भी बहुत मसरूर थे !
रंज की तासीर ये रही  दर्द भी रोने न दे !!

ऐ नसीब बनाने वाले गर्दिशे तकदीर देख !

इस तरह बिगड़ी है तस्वीर तुझे भी रोने न दे !!

जब ख़ुशी देनी न थी आँखों को क्यों ख्वाब दिये !

अब खुली जब आँख तो ताबीर भी रोने न दे !!

 क़ासिद मेरे ,तू कभी पैगाम लाये तो पढूँ  ! 

 वो लिखेगा खत मुझे क्या ?  इल्म भी रोने न दे !!... तनुजा ''तनु''

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