कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी रोने न दे !
आस को मेरी रही, निगाहें भी रोने न दे !!
दिल पत्थर बना गयी तक़दीर भी रोने न दे !!
दामन में खुशियाँ लिए हम भी बहुत मसरूर थे !
रंज की तासीर ये रही दर्द भी रोने न दे !!
ऐ नसीब बनाने वाले गर्दिशे तकदीर देख !
इस तरह बिगड़ी है तस्वीर तुझे भी रोने न दे !!
जब ख़ुशी देनी न थी आँखों को क्यों ख्वाब दिये !
अब खुली जब आँख तो ताबीर भी रोने न दे !!
क़ासिद मेरे ,तू कभी पैगाम लाये तो पढूँ !
वो लिखेगा खत मुझे क्या ? इल्म भी रोने न दे !!... तनुजा ''तनु''
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