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Monday, November 28, 2016

बीत गए पल 


ताक में जगरते
 दीये 
थे कभी 
और छाँह में 
कोई गुल्लक 
थी
 तोड़ी !!

लीपा हुआ 
आँगन 
सौंधी मिटटी की 
ख़ुश -बू 
कच्चे पथ 
 ने
 छोड़ी !!

ढूँढकर 
 ईंट के बीच
 से 
जगह बना
 चली किरण 
पहुँच गयी
 पौढ़ी !!


पुराना
 नया 
मासूम बचपन
 ने 
जवान हो 
नीले आकाश
 की छत 
ओढ़ी!!

निकलता 
हाथ से 
फिसलता 
रेत सा
 वक्त की
 किसने 
राह है
 मोड़ी !! .....तनुजा ''तनु '' 


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