बीत गए पल
ताक में जगरते
दीये
थे कभी
और छाँह में
कोई गुल्लक
थी
तोड़ी !!
लीपा हुआ
आँगन
सौंधी मिटटी की
ख़ुश -बू
कच्चे पथ
ने
छोड़ी !!
ढूँढकर
ईंट के बीच
से
जगह बना
चली किरण
पहुँच गयी
पौढ़ी !!
पुराना
नया
मासूम बचपन
ने
जवान हो
नीले आकाश
की छत
ओढ़ी!!
निकलता
हाथ से
फिसलता
रेत सा
वक्त की
किसने
राह है
मोड़ी !! .....तनुजा ''तनु ''
निकलता
हाथ से
फिसलता
रेत सा
वक्त की
किसने
राह है
मोड़ी !! .....तनुजा ''तनु ''
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