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Tuesday, November 8, 2016





कुमकुम मस्तक पर सजा,  माँग भरा सिंदूर !
घूँघट ओढ़े गोरडी ,          पर साजन हैं दूर !!
पर साजन हैं दूर,       पैंजन छमछम बाजती ; 
राह   निहारे  नूर,       साजन बिन ना साजती !
तड़फत है दिन रैन ,     बिचारी बैठी गुमसुम , ,,,
कजरा बहता नैन ,  सजा मस्तक पर कुमकुम !!... तनुजा ''तनु ''

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