घड़ी
घड़ी एक रुक जाइये , सुनिये जी की बात !
जी में वीराने पलते, नैनों से बरसात !!
इक घडी जो बीत गयी, दिलों को गयी रीत !
हँसी नहीं वो हुनर था, जादूगर मनमीत !!
नाज़ है औ अदा वही, बन जाऊँ मैं आप !
देख लो यही प्रीत है , नहीं घड़ी का श्राप !!
एक घड़ी की उमरिया , बीती जाय बहार !
पलपल तेरे ध्यान में , सदियों का श्रृंगार !!
एक घड़ी की बेबसी, बना गयी लाचार !
मन की पीड़ा दोगुनी, कैसे हो इज़हार !!..... तनुजा ''तनु''
No comments:
Post a Comment