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Saturday, November 26, 2016



घड़ी 

 घड़ी एक रुक जाइये , सुनिये जी की बात !

 जी में वीराने पलते,         नैनों से बरसात !!

 इक घडी जो बीत गयी,  दिलों को गयी रीत !

 हँसी नहीं वो हुनर था,      जादूगर मनमीत !!

 नाज़ है औ अदा वही,   बन जाऊँ मैं आप !

 देख लो यही प्रीत है ,   नहीं घड़ी का श्राप  !!

 एक घड़ी की उमरिया ,  बीती जाय बहार !
 पलपल तेरे ध्यान में ,     सदियों का श्रृंगार !!

 एक घड़ी की बेबसी,  बना गयी लाचार !
मन की पीड़ा दोगुनी,    कैसे हो इज़हार !!..... तनुजा ''तनु''







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