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Thursday, November 17, 2016






आँधियाँ तड़पा गयीं जो कहर के साथ में ;
 बीत जाता है बहुत, हर बशर के साथ मे !

राहतों में प्यार भी, मुश्किलों में हार भी ;
बदलते हैं मरहले हर सफर के साथ में ! 

प्यार गैरों ने किया धोखा अपनों से मिला ;
 देखते है अपनों को पराई नज़र के साथ में !

कौन है पाक दिल कहाँ बंदगी उसकी रही ;
ख़ौफ़-ए-जहन्नुम रहा कितने डर के साथ में !

तू कहाँ है और तेरा कहाँ  ठिकाना बता ;
गुजर जाऊँगा तेरी रह - गुजर के साथ में !

जनम कोई भी रहे जिंदगी तो होगी यही ;
हम भी जाएँगे इसी दर्द-ए-सर के साथ में !

चाहिए खुश-बू तनु प्यार गुंचों से करते चलो ;
चहक भोली है हरियाये शजर के साथ में !..... तनुजा ''तनु ''

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