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Kaavya
Tuesday, November 15, 2016
मैं दुबला हूँ तुम मुझे , ना दो ''दोआषाढ़'';
बची हुई हैं थोड़ी हड्डियों को दो आभार !
पच अपच की विष पोटली पेट इंसान का , ,,,
रोज़
कुआ
खोदूँ, ..
पिऊँ पानी कहाँ का भार !!...तनुजा ''तनु''
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