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Tuesday, November 15, 2016





कौन फिर आज सदा दे रहा है मुझे ;
 वो इक इक पल दुआ दे रहा है मुझे !

दिल ही में नहीं बाकी अज़मत-ए-वजूद ;
 वो कतरा कतरा दरिया दे रहा है मुझे !

लम्हे खुशियों के हैं फिज़ा में बहार है ;
 कितनी हसीं वो दुनिया दे रहा है मुझे !

डर की राहों में है सुकून मुझको नहीं ;
 वो इत्मीनान से गुलशन दे रहा है मुझे ! 

अदब से चल रहा हूँ कि मुझे नाज़ है ;
 नाचीज़ अदीब हूँ दुनिया दे रहा है मुझे !.. तनुजा ''तनु ''

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