भागती जिंदगी
चमकते जुगनुओं की नदी ;
शोर में डूबती ये सदी !
धुआँ धुआँ आसमां के नीचे ,
कुकुरमुत्तों सी पनपती बदी !!
कौड़ियों के मोल है जिंदगी;
गयी जाने कहाँ बंदगी !
जिसका रस्ता देखती आँखें , ,,,
आस से पाली हुई जिंदगी !!
एक मुट्ठी रेत में गुम हुई ;
लहर ले पाँव पाँव छुई !
लौट जायेगी फिर कहाँ , ,,
किनारे को है छूती हुई !!
थिरकती हुई इन लहरों में;
धड़कती हुई बहारों में !
सजता है कहीं जीवन भी , ,,,
धीमी धीमी चली बयारों में !!
शाम का रंग गुलाल सा ;
सुबह सिंदूरी लाल सा !
मटियामेट अरमानों में , ,,
दिल को मिले मलाल सा !!
वक्त कब सहलायेगा ;
कब थपकियों सुलाएगा !
घूँट सुकून के इन्तजार के , ...
फिर कब पिलायेगा !!,,.... तनुजा ''तनु ''
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