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Wednesday, November 2, 2016


भागती जिंदगी 


चमकते जुगनुओं की नदी ;
शोर में डूबती ये सदी !
धुआँ धुआँ आसमां के नीचे ,
कुकुरमुत्तों सी पनपती बदी !!

कौड़ियों के मोल है जिंदगी;
 गयी जाने कहाँ बंदगी !
जिसका रस्ता देखती आँखें , ,,,
आस से पाली हुई जिंदगी !!

एक मुट्ठी रेत में गुम हुई ;
लहर ले पाँव पाँव छुई  !
लौट जायेगी फिर कहाँ , ,, 
किनारे को है छूती हुई !!

थिरकती हुई इन लहरों में;
धड़कती हुई  बहारों में !
सजता है कहीं जीवन भी , ,,,
धीमी धीमी चली बयारों में !!

शाम का रंग गुलाल सा ;
सुबह  सिंदूरी लाल सा !
मटियामेट अरमानों में , ,,
दिल को मिले मलाल सा !!

वक्त कब सहलायेगा ;
कब थपकियों सुलाएगा !
घूँट सुकून के इन्तजार के , ... 
फिर कब पिलायेगा !!,,.... तनुजा ''तनु ''


















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