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Tuesday, November 22, 2016






सजन बिन रोना रुलाना और ही था ;
सपन आँखों में बुलाना और ही था !

लगी ललक हर जा वही नज़र आया ;

मिलन की चाह अकुलाना और ही था !

 पलाश रक्तिम हुए रवि शिखर छाया ;

 सुन पिक बैन मन लजाना और ही था !

बजी बाँसुरी हृदय बैन कहे नैना ;

सत्व सजना को सुनाना और ही था !

मदिर मधु बरसा गयी प्रीत मधुबाला ;

नयन से मदिरा पिलाना और ही था !

पुलकित होकर बज रहा हृदय बाजा ;

तेरे सुर से सुर मिलाना और ही था !...तनुजा ''तनु''

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