हर हर गंगे !!
बहते रहना नियति है,बहने की है सोच !
देखो मेरी उर्मियाँ, कितना इनमें लोच !!
गोते लगाते मुझमें, पतित पावनी मान, ,,
मैं मैली प्रदूषित हूँ, यही है एक दोच !! .... ''तनु''
मैं नदिया हूँ प्यार की , मीठा मेरा प्यार !
इक तिनके को पकड़ के , बिखेर दूँ बहार !!
मैं चल पडूँ ढलान पर, निरंतर है प्रवाह , ,,,
मत बनाना बाढ़ मुझे, दो ऐसा उपहार !!... ''तनु''
पाप कितने धोय रही, शेष रह गयी रेत !
देख नीरवता उसकी, सहती दर्द समेत !!
नदिया जीवन दायिनी, अब सूखी बिन नीर,
उर्वरता खोने लगी , खतरे का संकेत !! ... ''तनु''
कल कल बहती जो कभी, दौड़ हज़ारों मील
नदी समाप्त हो रही , नाले में तब्दील !
शब्द सुरों के खो गए, मौनी नीरव होय ,
कभी भयावह रूप धर , जग को लेती लील !!... ''तनु''
सारी नदिया बिक चुकी, बिक गए हैं पहाड़ !
हर ज़ुबान चुप हो गयी, आँखें तकती ताड़ !!
सोतों का नीर तरसा, बूँद बूँद को मार , ,,,
रोयगी सूखी नदिया , जब सूखेंगे हाड़ !! ... ''तनु''