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Tuesday, July 31, 2018

अभी अभी ग़ज़ल

अभी अभी ग़ज़ल ने नई पोशाख पहनी है 
कोंपले फूटी हज़ार हँसे  पात  टहनी है
फूल मुरझाएँ तो ये कोई नई बात नहीं , ,,
बीते जनम की तुम्हे वही बात कहनी है !!... ''तनु''

Monday, July 30, 2018

पढ़े कौन मजमून


वरक़ वरक़ में दर्ज है, पढ़े कौन मजमून !
दंश दंश में दर्द है,  रोती आँखें खून !
आँत आँत रोटी बिना, होय गयी अंगार , ,,
नब्ज़ नब्ज़ नोची हुई,  कहते हैं नाखून !!... ''तनु''

चाँद रुका है रुके सभी तारे !

चाँद रुका है रुके सभी तारे !
 वहशत बढ़ी रुके सभी नजारे !! 

अज़िय्यत से ज़मीं गिरौ भूली , ,,,
 कैसी है ज़िल्लत कि सभी हारे !!

नुक्तादां तो नबी नबी करते हैं !
जाने अल्लाह खो गये हमारे !!

आती नज़ाफ़त नज़र नहीं हमको !
नफ़्स से नाफ़र्मान हो गए सारे !!

कोई दीवाना फिरे किसी खातिर !
ढूँढ लो मुहब्बत प्यार के मारे !!..''तनु''

नुक्तादां= बुद्धिमान, 
अज़िय्यत=कष्ट , 
गिरौ =वादा 
नज़ाफ़त=शुद्धता , 
नफ़्स= आत्मा ,
नाफ़र्मान=आज्ञा न मानने वाला 

बोतल से निकलो जिन्न, खा जाओ तुम जात !
 हरी भरी थी डालियाँ, उजड़ गयी उत्पात !!... ''तनु''

   

Sunday, July 29, 2018

दंश दंश में दर्द है,  रोती आँखें खून !
वरक़ वरक़ में दर्ज है, पढ़े कौन मजमून !!

Friday, July 27, 2018

डाली डूबी प्यार में,

 मेरी बूढ़ी लालसा , आएँ पल्लव फूल !
निहार सूखे ठूँठ को,  हिय में उठते शूल !!

डाली डूबी प्यार में,          झूम रहे हैं फूल !
रुत जब पतझड़ लायगी, झरते पल्लव शूल !!

 पुष्प अभी फुनगी खिला, जीवन में अनुराग !
आज चहक रही चिड़िया, कल खो जाए राग !! ... ''तनु''


मन तरुवर है आपका,

मन तरुवर है आपका,  ज्ञान फल और फूल !
देना तुम सबको ख़ुशी,       काँटे कटे समूल !!

मैं गुरुवर हूँ आपकी,   हमारे गुरु हैं आप !
बातें अच्छी सीख कर,  दूर करें सब शाप !!

लेना देना ज्ञान का,       संबंधों की बात !
मन से हो मान सबका, देना ना आघात  !!... ''तनु''

व्यापार बनी आस्था,     भोले जन आधार !
भरम चटनी चटाय के,   लूट लिया संसार !!... ''तनु''


पवन प्रीत ले गाय !!


चौमासा बरसन लगा , नाचे सब संसार !
धुली धुली है डालियाँ,   गुंचों में मल्हार !!

बूँदन में नभ बरसे , सपन हुए साकार !
प्रीत में नहाई धरा,  सुन्दरतम उपहार !!

बूँदन में अमि बरसता, पात पात हरियाय !
धरा सरसती नेह से ,   पवन प्रीत ले गाय !!... ''तनु''

Thursday, July 26, 2018

चौमासा बरसन लगा,


चौमासा बरसन लगा,  भीगा सब संसार !
धुली धुली है डालियाँ,   गुंचों में मल्हार !!

बूँदन में नभ बरसे,  सपन हुए साकार !
प्रीत में नहाई कली , भीगा सब संसार !!

गुरु की भक्ति सदा भली,  सुंदरतम उपहार !
गुरु महिमा में डूबकर,       भीगा सब संसार !!

भीगा वन भीगी कली , भीगा सब संसार !
खो गए सारे भँवरे ,      कैसा ये उपहार !!

भीगा सब संसार है , शीतलता है मीत !
बरखा की बूँदें भली, सदा निभाए प्रीत !! ... ''तनु''

रोय चमन माली बिना


रोय चमन माली बिना,   कैसा ये उपहार !
मानवता को छोड़कर, भीगा कब संसार ?

 ले कुदाल औ फावड़ा,  दो नफरत को तोड़ !
 भीगा कब संसार है ,      मानवता को छोड़ !!... ''तनु''

Wednesday, July 25, 2018




रीति इच्छा की गगरी, पल पल बिखरी चाह !
लालसा को समेट कर,    ख़ुशियाँ भूले राह !!

चाह जहाँ राहें खुले,   मनु कैसा अनजान !
कोशिश बिन बैठा रहे ,समझे ना नादान !!

कामना है पुष्प खिले, जीवन में अनुराग !
पूरी हो मंशा सभी,       पाऊँ ऐसा भाग !!

मन की इच्छा पीर सी,नित ही मन को मार !
माना कि यह ठीक नहीं,  पूरी हो तो सार !!

दमन कर सारी इच्छा,  बन निर्मोही संत !
पर इच्छा मरती कहाँ, मुश्किल ऐसा पंथ !!

बूढी मेरी लालसा,  रोज़ नई है चाह ! 
कैसे इसे लगाम दूँ, सोच न पाऊँ राह !!

जीवन मिले न चाह से, चाह मिले ना मौत !
जनम मरण मिलता नहीं, छिड़के नीर कठौत !!

मेरी चाह ने पकड़ी, अंध कूप की घाह !
ज्यों मणि माल से मणके, बिखर गये हैं राह !!

गंगा आये चाह से ,    आये जीवन मौत   !
ऐसा नीर मनुज यहाँ,  मिलता नहीं कठौत !!... ''तनु''


                               







Tuesday, July 24, 2018

दिल जल्यो



कालजो जले रोट्यां जली जल्या भुज्या आज !
अब काईं काईं जले, डरी भाग्या रिंगणा राज !!

मर्चां झाल साग वणायो, पराठा रोया झींक्या ,
अकड़ी मीठी चीज वैग्या पकवान सब फीका !

खोय गयो रे सुवाद चटणी रगड़ी नाख्या तिल !
पड ग्यो जीव ने त्रास जदि  जदि जल्यो यो दिल !!.

जलतां भुनतां रोट्यां मेली जीमो म्हारा राज !
आज तो कर दियो अबे करूँ नि घर रा काज !!

झूला पड्या आयी राखी पीरां जावे सगळी बेना  
इत्ती सी बात सायबा,  माँगू नी लत्ता गाँठा गेणा !!.. ''तनु''





Monday, July 23, 2018

मैंने लोगों को इस तरह ना कभी सोचा था !

मैंने लोगों को इस तरह ना कभी सोचा था !
ऐसा भी होगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

 कुछ भी कर पाने का सलीका कहाँ से लाऊँ !
 उजड़ेगा गुलशन इस तरह ना कभी सोचा था !!

आँखें देखती रहती थी हर दिन जमाने को !
ऐसा बदलेगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

कोई बचाने नहीं आया मैं डूबता रहा !  
 ऐसे डूबूँगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

भूला हूँ मैं अपना घर किससे पूछूँ यारों !
सभी ने भुलाया इस तरह ना कभी सोचा था !!

जिंदगी बहुत छोटी है भले कामों के लिये !
बीतेंगे मौसम इस तरह ना कभी सोचा था !!

सब्र इतना ''तनु'' मत करना कि किरचों में बिखरो ! 
होगा कोहराम इस तरह ना कभी सोचा था !!... ''तनु''

Saturday, July 21, 2018

स्थानांतरण होते रहें, तो अजन अबूझ न रहता !
नजदीकियाँ जीवन में तो सजन अबूझ न रहता !!
फूल तितली दो घडी हैं, किसका ठिकाना है यहाँ ?
आना जाना समझ ले, तो चलन अबूझ न रहता !!… ''तनु ''

Thursday, July 19, 2018

कौन पढ़ेगा मौत को


कौन पढ़ेगा मौत को, यह सावनी फुहार ?
नीर मुँह का सूख गया,यम का पहना हार !!

सरल रूप में अगर हूँ,  मैं मनुष्य का प्राण !
अनंत असीम छू रहा,    पा शरीर से त्राण !!

मौत ही तो नहीं मरे,  मरे सकल संसार !
शास्वत सत्य है यही,  झूठ सब व्यवहार !!

 आये गये अबूझ है,   सभी नर और नार !
 श्रृंगी भृंगी भी गये,  छोड़ जगत का सार !!

जाने वाला जायगा,    चाहे दिन या रात !
जीमे रोज़ मिठाइयाँ,    चाहे खाये भात !!... ''तनु''

दिलजलों !!

दिलजले !! जली रोटियाँ, जले पकोड़ा आज !
कल बिरयानी जलेगी,         बैगन जाएँ भाज !!
बैगन जाएँ भाज ,           पराठे रोये झींके !
अकड़ी मीठी चीज़, पकवान सब हैं फीके !!
भजिया है बे-स्वाद, चाह मूँग कितनी दले   !
दिलजलों की गुहार, सुन लो !! लो फिर दिलजले  !!... ''तनु''

  कोई  ख़लिश रुलाती नहीं आजकल !
  ये दुनिया आँसू बहाती नहीं आजकल !!

  कोई तितली इठलाती नहीं आजकल !
  शाख गुल भी खिलाती नहीं आजकल !!

  चाँद ये रात के दरम्यां कब न था !
  चाँदनी ज़ख़्म दिखाती नहीं आजकल !!

  रहकर जमीं पे उदासी से गुफ़्तुगू !
  ये नई बात रह जाती नहीं आजकल !!

 आसमाँ की खिड़की लेती इम्तहाँ !
 ख़ुश्क लोगों को सताती नहीं आजकल !!

  ख़्वाहिशों की खातिर,रोज़ रोज़ ख़्वार !
  जिंदगी खुशियाँ लाती नहीं आजकल !!

  एक रोज़ मरहूम कहोगे तुम हमें  !
  जाऊँ कहाँ मेरी मुनादी नहीं आजकल !! .. ''तनु''

Wednesday, July 18, 2018


बधाइयाँ थाने घनी,   म्हापर राखो नेह !
 आसीसाँ  मिंह वरसे,  चालाँ थांँ री गेह !!.. 'तनु'

बंजर हूँ, कहीं कुछ उपजता ही नहीं,

बंजर हूँ,  कहीं  कुछ उपजता ही नहीं, 
क्या लिखूँ ए दिल कुछ जँचता ही नहीं !

गयी बहार जुल्फ ने खुश्बुएँ खोयी,
 जिंदगी एकसा कुछ रहता ही नहीं !

एक उम्मीद थी दिल के मुआमले में,
पर टूट गया है कुछ सहता ही नहीं !

घर जला की कितनी फैली रौशनी,
रात रौशन दिन कुछ कहता ही नहीं !

गले कौन लगाये नहीं कोई राजदाँ ,
आबशार सा कहीं कुछ बहता ही नहीं !... ''तनु''

Tuesday, July 17, 2018

मदद की आस है अभी, बाढ़ से जो तबाह !

मदद की आस है अभी,   बाढ़ से जो तबाह !
आसमानी आफत की ,  ऐसी पड़ी निगाह !!

ऐसी पड़ी निगाह,      जीवन बिखरा देखिये !
पानी पानी गाँव,       अभी न निथरा देखिये !! 

बीमारी चहुँओर,   चाहती साँस अदद की !

कुनबा ढाणी ढोर ,  लगाये आस मदद की !!... ''तनु''

कर्म हवाला दे दिया !.

पहले सूखा भेज के,  भेजी फिर है बाढ़ !
फोड़ ठीकरा भाग का, दुबले को आषाढ़ !! 

दुबले को आषाढ़,     कर्म हवाला दे दिया !
किसान है बर्बाद,   सुकून सभी  छीन लिया !! 

सबका भरते पेट,   रहें किसान क्यों भूखे !
शासन है निश्चेत,   मेघ ज्यों जल बिन सूखे !! .. ''तनु''

सूखे ने घेर पहले,


सूखे ने घेर पहले,       भेजी फिर है बाढ़ !
फोड़ ठीकरा भाग का, दुबले को आषाढ़ !!

दुबले को आषाढ़,   दे दिया कर्म हवाला !.
किसान है बर्बाद,   छीना मुख का निवाला !!

सबका भरते पेट,    रहें किसान क्यों भूखे !
शासन है निश्चेत ,   मेघ ज्यों जल बिन सूखे !!.. ''तनु''

आस लगाये मदद की, जो बाढ़ से तबाह !

आस लगाये मदद की,   जो बाढ़ से तबाह !
आसमानी आफत की ,  ऐसी पड़ी निगाह!!

ऐसी पड़ी निगाह,      जीवन बिखरा देखिये !
पानी पानी गाँव,       अभी न निथरा देखिये!! 

बीमारी चहुँओर,    हर जीवन चाहे साँस! 

कुनबा ढाणी ढोर ,  मदद की लगाये आस!!... ''तनु''

Monday, July 16, 2018

विरह

आँसू की नदिया बहे,नैन बन गए झील 
तन से रूठा प्यार है,नींद खो गयी मील 

करूँ नहीं श्रृंगार मैं, मुरझाया है डील !
जाग जाग नैना जले , जलते क्यों कंदील !!

एक सुरमयी साँझ को, लिया तमस ने लील !
रात चाँदनी सो गयी,   दूर बज रही जील !!... 'तनु'

Friday, July 13, 2018

बात बात पर बिखरना, ऐसे उनके ढंग !

बात बात पर बिखरना, ऐसे उनके ढंग !
निपट अकेले कक्ष में, संग रह गए संग !! 
इक दिन मुखड़ा धुल गया,बिगड़े सारे काम, ,,
अपने आप से लड़ते,   हार गये हर जंग !!... ''तनु''

Wednesday, July 11, 2018

गुरु की भक्ति सदा भली

गुरु की भक्ति सदा भली, ये कर जाय निहाल ,
किरपा उनकी जो मिले,  मन हो मालामाल ,
मन हो मालामाल, शिखर पे गुरु पहुँचावै !
कटता अज्ञान, ज्ञान रंग यूँ चोखा आवै !!
सबको देते स्थान, 
शरण जा सच्चे गुरु की, ,,,
सुंदर करले चाल,  समर्थ भक्ति में गुरु की !! .... तनुजा ''तनु''

पराये पोंछे अँखियाँ, प्यार जताते गैर !

पराये पोंछे अँखियाँ,  प्यार जताते गैर !
अपनों में हम गैर से,  कैसे मनती खैर !!
 घर अरमानों के ढहे,  बिखरे सारे रंग, ,,,
 उसके घर में हाय रे,    देर और अंधेर !!.... ''तनु''

सपने दरिया से दूर हैं, देखी नहीं बहार !

सपने नयनों से दूर हैं,  देखी नहीं बहार !
मरीचिका सी जिंदगी, भोजन भी दुश्वार !!
उगाता दिन मौत का,  सूरज करता घात, ,,,
रोती जाती साँझ भी,  जीवन है बस रार !!... ''तनु'' 

Monday, July 9, 2018

बजे न प्रीत की वंशी !

पंछी नदिया बादली,  कहता बहकर पौन !
मानवता को छोड़कर,     सारी बातें गौण !!
सारी बातें गौण,       ज़िद में अंधे हो गये , ,,
जाने कुछ अनजान, नयन मूँद कर सो गये !
झरने खो ना जाय,      बजे न प्रीत की वंशी !
बचाकर कायनात ,     बचालो नदिया पंछी !! ... ''तनु''



करो मत बतिया छूँछी

पंछी नदिया बादली,  कहता बहकर पौन !
मानवता को छोड़कर,     सारी बातें गौण !!
सारी बातें गौण,        आँखें मूँद यूँ सो कर, ,,  
जाने कुछ अनजान,   क्यों विवेकहीन हो कर !   
सब कुछ खो ना जाय, करो मत बतिया छूँछी !
बचाकर कायनात ,        बचालो नदिया पंछी !! ... ''तनु''

पंछी नदिया बादली, कहता बहकर पौन !

पंछी नदिया बादली,  कहता बहकर पौन !
मानवता को छोड़कर,     सारी बातें गौण !!
ज़िद में अंधे हो गए ,  जानें कुछ अनजान , ... 
शिक्षा काम न आय जहाँ, अब समझाये कौन !!... ''तनु''

पौन सुने न मौन कहे, अब तो सब कुछ गौण !!

चुप रह कर न सताइये,  तोड़ दीजिये मौन !
मन की गहरी पीर को,  आज सहेगा कौन !!
मन बेकल को कल नहीं, बिन कहे भी अधीर, ,,
पौन सुने न मौन कहे, अब तो सब कुछ गौण !!... ''तनु'' 

मन की आँट मिटाय के, रखना सबसे मेल !!

मन के आँगन उग गयी,  ऐसी विषमय बेल !
जिव्हा कड़वी हो गयी ,    कहन हुए बेमेल !!
आये कुछ लेकर नहीं,  जाना खाली हाथ , ,,,
मन की आँट मिटाय के,   रखना सबसे मेल !! .. ''तनु''

Friday, July 6, 2018

नदिया

हर हर गंगे !!
बहते रहना नियति है,बहने की है सोच !
देखो मेरी उर्मियाँ,  कितना इनमें लोच !!
गोते लगाते मुझमें, पतित पावनी मान, ,,
मैं मैली प्रदूषित हूँ,      यही है एक दोच !! .... ''तनु''

मैं नदिया हूँ प्यार की , मीठा मेरा प्यार !
इक तिनके को पकड़ के , बिखेर दूँ बहार !!
मैं चल पडूँ ढलान पर,   निरंतर है प्रवाह  , ,,,
मत बनाना बाढ़ मुझे,   दो ऐसा उपहार !!... ''तनु''

पाप कितने धोय रही,  शेष रह गयी रेत !
देख नीरवता उसकी,   सहती दर्द समेत !!
नदिया जीवन दायिनी, अब सूखी बिन नीर, 
उर्वरता खोने लगी ,    खतरे का संकेत !! ... ''तनु''

कल कल बहती जो कभी,  दौड़ हज़ारों मील
नदी समाप्त हो रही ,          नाले में तब्दील !
शब्द सुरों के खो गए, मौनी नीरव होय ,
कभी भयावह रूप धर , जग को लेती लील !!... ''तनु''

सारी नदिया बिक चुकी,  बिक गए हैं पहाड़ !
हर ज़ुबान चुप हो गयी,    आँखें तकती ताड़ !!  
सोतों का नीर तरसा,    बूँद बूँद को मार , ,,,
रोयगी सूखी नदिया ,  जब सूखेंगे हाड़ !! ... ''तनु''

इक महज़बीं को प्यारा सा ये इनाम अच्छा लगा !

इक महज़बीं को प्यारा सा ये इनाम अच्छा लगा !
जनम जनम की चाहतों का ये पयाम अच्छा लगा !!

तृषित धरती परअब हरियाली है बिखरी हुई, 

छू लिया अंतस धरा, तेरा अंजाम अच्छा लगा !!

भड़कने वाले शरर है खिलने वाले फूल हैं ,

खूबसूरत बानगी थी ये इब्तिसाम अच्छा लगा !! 

 था कहीं पर खोजने पर ना मिला सुकून - ए -दिल , 

 कौन जाने खो गया दिल है गुमनाम अच्छा लगा !!

 ना-सुबूर दिल ''तनु'' शायद भटकती है रूह भी,  

इंतज़ार था  उम्मीद तेरा,   इंतिक़ाम अच्छा लगा !! 

इंतिक़ाम =बदला 
इब्तिसाम =परिहास

Thursday, July 5, 2018



जात पुरानी हो गयी,      हूनर है बलवान !
राह अपनी है चुननी,   कर लो जी संज्ञान !!

अपने अपने कर्म हैं,     अपनी अपनी जात !
मनुज मनुज समान सभी,  मानवता है जात !!


अपने अपने कर्म का,      नहीं जात पर जोर !
कुछ तख़्त पर राज करे,   बन बैठे सिरमौर !!.. ''तनु''

कब चलता है जोर !

आलसी मन के सम्मुख,  कब चलता है जोर ! 
बिना कर्म किये मुख में.  जामुन जाय न बोर !!

अपने अपने कर्म का,        नहीं जात पर जोर ! 

कुछ तख़्त पर राज करे,    कुछ उलझे हैं क्षौर !!

बलात हठात सब यहाँ,         होता है बरजोर !

निबल कमजोर का भला, कब चलता है जोर  !!

सत्तामद में झूमते,         बन बैठे सिरमौर !

कुछ रईस बलवान हैं , कब चलता है जोर  !!

लावारिस से घूमते, कहते उनको ढोर !

बूचड़खाने जा रहे, कब चलता है जोर ।।

दूषित जल दूषित हवा,   दुनिया में चहुँओर !

कौन सँवारेगा भला,     कब चलता है जोर ।।

भूले  पैर पसारना,     लम्बी ना  है सोर ! 
महँगाई के दौर में,  कब चलता है जोर ।।

कुछ रईस बलवान हैं  , कब चलता है जोर !

बने सियासतदान फिर, छीने मुँह का कौर !!

बातें ये कुछ ख़ास हैं,    कब चलता है जोर !

जऱ जोरू ज़मीन पर,   अजी कीजिये गौर !! 

आँधी पानी बाढ़ हो,    कब चलता है जोर ! 

पल में ही बह जायगा,  फूस ठिकाना ठौर !!... ''तनु''

Wednesday, July 4, 2018

मन मैला है

मन मैला है मेघ का,  उपजा मन की प्यास,

बरसे बिन क्यों जा रहे, लगा नीर की आस ! 

लगा नीर की आस.    पुकारे वन हरियाली; 

तोड़ो अब उपवास,      पुकारे चातक माली !!

गोरी देखे राह,  पास  इक ना  धेला है ,

मीठी मन की चाह , मेघ का मन मैला है !! .. ''तनु''