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Friday, July 6, 2018

इक महज़बीं को प्यारा सा ये इनाम अच्छा लगा !

इक महज़बीं को प्यारा सा ये इनाम अच्छा लगा !
जनम जनम की चाहतों का ये पयाम अच्छा लगा !!

तृषित धरती परअब हरियाली है बिखरी हुई, 

छू लिया अंतस धरा, तेरा अंजाम अच्छा लगा !!

भड़कने वाले शरर है खिलने वाले फूल हैं ,

खूबसूरत बानगी थी ये इब्तिसाम अच्छा लगा !! 

 था कहीं पर खोजने पर ना मिला सुकून - ए -दिल , 

 कौन जाने खो गया दिल है गुमनाम अच्छा लगा !!

 ना-सुबूर दिल ''तनु'' शायद भटकती है रूह भी,  

इंतज़ार था  उम्मीद तेरा,   इंतिक़ाम अच्छा लगा !! 

इंतिक़ाम =बदला 
इब्तिसाम =परिहास

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