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Friday, July 6, 2018

नदिया

हर हर गंगे !!
बहते रहना नियति है,बहने की है सोच !
देखो मेरी उर्मियाँ,  कितना इनमें लोच !!
गोते लगाते मुझमें, पतित पावनी मान, ,,
मैं मैली प्रदूषित हूँ,      यही है एक दोच !! .... ''तनु''

मैं नदिया हूँ प्यार की , मीठा मेरा प्यार !
इक तिनके को पकड़ के , बिखेर दूँ बहार !!
मैं चल पडूँ ढलान पर,   निरंतर है प्रवाह  , ,,,
मत बनाना बाढ़ मुझे,   दो ऐसा उपहार !!... ''तनु''

पाप कितने धोय रही,  शेष रह गयी रेत !
देख नीरवता उसकी,   सहती दर्द समेत !!
नदिया जीवन दायिनी, अब सूखी बिन नीर, 
उर्वरता खोने लगी ,    खतरे का संकेत !! ... ''तनु''

कल कल बहती जो कभी,  दौड़ हज़ारों मील
नदी समाप्त हो रही ,          नाले में तब्दील !
शब्द सुरों के खो गए, मौनी नीरव होय ,
कभी भयावह रूप धर , जग को लेती लील !!... ''तनु''

सारी नदिया बिक चुकी,  बिक गए हैं पहाड़ !
हर ज़ुबान चुप हो गयी,    आँखें तकती ताड़ !!  
सोतों का नीर तरसा,    बूँद बूँद को मार , ,,,
रोयगी सूखी नदिया ,  जब सूखेंगे हाड़ !! ... ''तनु''

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