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Thursday, July 19, 2018

कौन पढ़ेगा मौत को


कौन पढ़ेगा मौत को, यह सावनी फुहार ?
नीर मुँह का सूख गया,यम का पहना हार !!

सरल रूप में अगर हूँ,  मैं मनुष्य का प्राण !
अनंत असीम छू रहा,    पा शरीर से त्राण !!

मौत ही तो नहीं मरे,  मरे सकल संसार !
शास्वत सत्य है यही,  झूठ सब व्यवहार !!

 आये गये अबूझ है,   सभी नर और नार !
 श्रृंगी भृंगी भी गये,  छोड़ जगत का सार !!

जाने वाला जायगा,    चाहे दिन या रात !
जीमे रोज़ मिठाइयाँ,    चाहे खाये भात !!... ''तनु''

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