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Thursday, July 19, 2018

  कोई  ख़लिश रुलाती नहीं आजकल !
  ये दुनिया आँसू बहाती नहीं आजकल !!

  कोई तितली इठलाती नहीं आजकल !
  शाख गुल भी खिलाती नहीं आजकल !!

  चाँद ये रात के दरम्यां कब न था !
  चाँदनी ज़ख़्म दिखाती नहीं आजकल !!

  रहकर जमीं पे उदासी से गुफ़्तुगू !
  ये नई बात रह जाती नहीं आजकल !!

 आसमाँ की खिड़की लेती इम्तहाँ !
 ख़ुश्क लोगों को सताती नहीं आजकल !!

  ख़्वाहिशों की खातिर,रोज़ रोज़ ख़्वार !
  जिंदगी खुशियाँ लाती नहीं आजकल !!

  एक रोज़ मरहूम कहोगे तुम हमें  !
  जाऊँ कहाँ मेरी मुनादी नहीं आजकल !! .. ''तनु''

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