कोई ख़लिश रुलाती नहीं आजकल !
ये दुनिया आँसू बहाती नहीं आजकल !!
कोई तितली इठलाती नहीं आजकल !
शाख गुल भी खिलाती नहीं आजकल !!
चाँद ये रात के दरम्यां कब न था !
चाँदनी ज़ख़्म दिखाती नहीं आजकल !!
रहकर जमीं पे उदासी से गुफ़्तुगू !
ये नई बात रह जाती नहीं आजकल !!
आसमाँ की खिड़की लेती इम्तहाँ !
ख़ुश्क लोगों को सताती नहीं आजकल !!
ख़्वाहिशों की खातिर,रोज़ रोज़ ख़्वार !
जिंदगी खुशियाँ लाती नहीं आजकल !!
एक रोज़ मरहूम कहोगे तुम हमें !
जाऊँ कहाँ मेरी मुनादी नहीं आजकल !! .. ''तनु''
ये दुनिया आँसू बहाती नहीं आजकल !!
कोई तितली इठलाती नहीं आजकल !
शाख गुल भी खिलाती नहीं आजकल !!
चाँद ये रात के दरम्यां कब न था !
चाँदनी ज़ख़्म दिखाती नहीं आजकल !!
रहकर जमीं पे उदासी से गुफ़्तुगू !
ये नई बात रह जाती नहीं आजकल !!
आसमाँ की खिड़की लेती इम्तहाँ !
ख़ुश्क लोगों को सताती नहीं आजकल !!
ख़्वाहिशों की खातिर,रोज़ रोज़ ख़्वार !
जिंदगी खुशियाँ लाती नहीं आजकल !!
एक रोज़ मरहूम कहोगे तुम हमें !
जाऊँ कहाँ मेरी मुनादी नहीं आजकल !! .. ''तनु''
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