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Monday, July 9, 2018

बजे न प्रीत की वंशी !

पंछी नदिया बादली,  कहता बहकर पौन !
मानवता को छोड़कर,     सारी बातें गौण !!
सारी बातें गौण,       ज़िद में अंधे हो गये , ,,
जाने कुछ अनजान, नयन मूँद कर सो गये !
झरने खो ना जाय,      बजे न प्रीत की वंशी !
बचाकर कायनात ,     बचालो नदिया पंछी !! ... ''तनु''



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