विरह
आँसू की नदिया बहे,नैन बन गए झील
तन से रूठा प्यार है,नींद खो गयी मील
करूँ नहीं श्रृंगार मैं, मुरझाया है डील !
जाग जाग नैना जले , जलते क्यों कंदील !!
एक सुरमयी साँझ को, लिया तमस ने लील !
रात चाँदनी सो गयी, दूर बज रही जील !!... 'तनु'
आँसू की नदिया बहे,नैन बन गए झील
तन से रूठा प्यार है,नींद खो गयी मील
करूँ नहीं श्रृंगार मैं, मुरझाया है डील !
जाग जाग नैना जले , जलते क्यों कंदील !!
एक सुरमयी साँझ को, लिया तमस ने लील !
रात चाँदनी सो गयी, दूर बज रही जील !!... 'तनु'
No comments:
Post a Comment