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Monday, July 16, 2018

विरह

आँसू की नदिया बहे,नैन बन गए झील 
तन से रूठा प्यार है,नींद खो गयी मील 

करूँ नहीं श्रृंगार मैं, मुरझाया है डील !
जाग जाग नैना जले , जलते क्यों कंदील !!

एक सुरमयी साँझ को, लिया तमस ने लील !
रात चाँदनी सो गयी,   दूर बज रही जील !!... 'तनु'

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