पराये पोंछे अँखियाँ, प्यार जताते गैर !
अपनों में हम गैर से, कैसे मनती खैर !!
घर अरमानों के ढहे, बिखरे सारे रंग, ,,,
उसके घर में हाय रे, देर और अंधेर !!.... ''तनु''
अपनों में हम गैर से, कैसे मनती खैर !!
घर अरमानों के ढहे, बिखरे सारे रंग, ,,,
उसके घर में हाय रे, देर और अंधेर !!.... ''तनु''
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