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Monday, July 23, 2018

मैंने लोगों को इस तरह ना कभी सोचा था !

मैंने लोगों को इस तरह ना कभी सोचा था !
ऐसा भी होगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

 कुछ भी कर पाने का सलीका कहाँ से लाऊँ !
 उजड़ेगा गुलशन इस तरह ना कभी सोचा था !!

आँखें देखती रहती थी हर दिन जमाने को !
ऐसा बदलेगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

कोई बचाने नहीं आया मैं डूबता रहा !  
 ऐसे डूबूँगा इस तरह ना कभी सोचा था !!

भूला हूँ मैं अपना घर किससे पूछूँ यारों !
सभी ने भुलाया इस तरह ना कभी सोचा था !!

जिंदगी बहुत छोटी है भले कामों के लिये !
बीतेंगे मौसम इस तरह ना कभी सोचा था !!

सब्र इतना ''तनु'' मत करना कि किरचों में बिखरो ! 
होगा कोहराम इस तरह ना कभी सोचा था !!... ''तनु''

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