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Saturday, May 30, 2020

सारे जग आतंक है

सारे जग आतंक है,     ओ वायरस महान ! 
सबको जकड़ा पाश में, फैला सकल जहान !!

फैला सकल जहान,  तू कोहराम मचा के 
सबको तेरा ध्यान,  रखा जीवन बिखरा के 

गया आसरा छूट,    नहीं बिरला भी तारे  
खुशियाँ ली है लूट,   आतंक है जग सारे ,  ... ''तनु''

Tuesday, May 26, 2020

मोबाइल से हो रहा, ईद मुबारकबाद !

मोबाइल से हो रहा, ईद मुबारकबाद !
मिटती कैसे दूरियाँ,  भूले सेवइ स्वाद !!

घर बैठे इबादत है, होकर के मजबूर !
दुआएँ दूर दूर से,   मजबूरी भरपूर !!

सलामत तुम जहाँ रहो,  ऐसी ही है दीद !
दुआ करूँगा मैं यही,  फिर आयेगी ईद !!

कितनी है मजबूरियाँ, ईद मिलन में आज !
घर में पढ़ी नमाज है, कौन सुने आवाज़ !!

छूटता रोज़गार है,       टूटे खरीददार !
ठंढा सा बाजार है,      सूने से त्यौहार !! 

अपने जीवन में कभी, देखा ऐसा काल !
कोरोना ने कर दिया, जीना अभी मुहाल !!

माना मैं इस साल में , कर ना पाया दीद !
कोरोना कारण बना,   सपने हुए शहीद !!

दरकिनार करके मिला,  मन के सारे चाव  !
सो गयी सारी खुशियाँ,   खोने लगते भाव !!... ''तनु''


Monday, May 25, 2020

पैर रोजी के हित भगाने की आदत हो गयी !

पैर रोजी के हित भगाने की आदत हो गयी !
जहर पीने औ ग़म खाने की आदत हो गयी!!

सुलगती रही गरीबों के लिये चिता भूख पर !
मजदूरी में जीवन गँवाने की आदत हो गयी!!

बेबस सड़क के किनारे खानाबदोश मजबूर!
बच्चों को भूखा सुलाने की आदत हो गयी !!

गर्दन झुकी नीची नज़रें जो दिया सो ले लिया!
हरेक जुल्म दिल से भुलाने की आदत हो गयी !!

यूँ सफर कब रहा गुलाबी रंज-ओ-गम थे !
आबले पाँव, पत्त्थर चबाने की आदत हो गयी !!

रोटियाँ खाऊँ कहाँ से है साँस भी कर्ज में !

किश्त दर साँस चुकाने की आदत हो गयी !!... ''तनु''

सबको लेकर साथ में, चलो मनाएँ ईद!

सबको लेकर साथ में, चलो मनाएँ ईद!
कोरोना के काल में , केवल करलें दीद !!
मित्र करना उम्मीद ये, आगे रखकर देश !
ईद मनाएँ साथ मे, भूलें द्वेष विद्वेष !!
हर महिना रमजान है, रोजाना फिर ईद!
मार दिया शैतान जो, मित्र यही उम्मीद !!
सीख लिया रमजान से, करने का अरदास !
व्यर्थ न जाएगा कभी, किया हुआ उपवास !!
रहमत है रमजान में , कर्मों की पहचान !
आँसू पी ले दीन का , कहता है रमजान !!
रहमत से रमजान की, कोई क्यों महरूम !
बरसता जब सवाब हो, नज़रों से लो चूम !!
महीना ये सवाब का, मर भी जा शैतान !
आने वाली ईद है, माह यही रमजान !!
महीना ये सवाब का, मर भी जा शैतान !
आज आ गयी ईद है, कहे माह रमजान !!... ''तनु''

Thursday, May 21, 2020

रीते कागज रह गये,

रीते कागज रह गये,  नहीं बने हैं छंद,
इन्द्रधनुष के रंग से, मिले नहीं मकरंद !
मिले नहीं मकरंद , छंद बादल की तरिणी,
भाव बहे स्वच्छंद, चले जो चंचल हरिणी !!
सुंदर हों उद्गार, कमल ज्यों सरुवर खिलते !
लेखन में हो सार, रहें ना कागज रीते!!... ''तनु''

Tuesday, May 19, 2020

सारे जग आतंक है,

दीखे तो मारूँ वहीं,      कोरोना है काल !
कठिन संकट में अब तो,  बीतेगा ये साल!!

सारे जग आतंक है,      वो वायरस महान ! 
नाम कोरोना उसका,  जाने सकल जहान !!

हाहाकार मचा हुआ,    अभी भारत समेत !

सकल विश्व में हो रहा,   मृत्यु गान समवेत !!

बाहर जाते समय पर,   रखना इन का ध्यान !

सेनिटाइज़र है अभी,     जरूरत का सामान !!

मुँह बांधो रख दूरियाँ,       बार बार धो हाथ !

कोरोना का मामला,   है कुछ दिन का साथ !!... ''तनु''



चुपके से घुसपैठ कर, छीने सब व्यवहार !

की जो उसकी चाकरी, छोड़ेगा ना हाथ !
कर धोकर  दूरी रखो ,  छूटेगा जी साथ !!

बंद लिफ़ाफ़े का रहा ,  कुछ ऐसा मजमून !
कोरोना के भाग का,     मिलता ना ममनून !!

दो गज दूरी राखिये , धोते रहिये हाथ !
घुल मिल कर मत बैठिये, तभी निभेगा साथ !!

बंद लिफाफा देख कर,  जान गये मजमून !
कोरोना को जानकर,    हुए नहीं ममनून !!

चुपके से घुसपैठ कर,  छीने सब व्यवहार !
उसके भय से देख लो, बदल गया संसार !!

नाम कोरोना उसका,  जाने सकल जहान !
परोक्ष  करता वार है , दिखे नहीं आकार !!

हाहाकार मचा हुआ ,    अभी भारत समेत !
लड़कर इस वायरस से, अजी गये सब हार !!

बाहर जाते समय पर,   रखना इन का ध्यान !
मुँह ढँकना रख दूरियाँ ,   कर धोना  हर बार !!

बाहर जाते समय पर,   रख बातों का ध्यान !
मुँह ढँक कर दूरी रखो ,   कर धोयें हर बार !!

कोरोना के मामले ,  एक लाख के पार !
उसके डर से डोलते,  शेषनाग आधार !!

करपट गमछा दूपटा,  मुँह पर बांधो यार !
बाहर से आकर सभी,  कर धोयें हर बार !!... ''तनु''








करपट गमछा दूपटा

करपट गमछा दूपटा, मुँह पर बांधो प्यार !
सेनिटाइज़र से सभी,   कर धोओ हर बार !!
कर धोओ हर बार,     पदत्राण बाहर घर से,
नियमित हो आहार,    गर्म जल पी ऊपर से, ,,
सादा जीवन योग,      कोरोना जाय झटपट !
विकट हुआ यह रोग,   बचाय दूपटा करपट !!... ''तनु''
                               


                                 

गमछा करपट दूपटा

गमछा करपट दूपटा,    मुँह पर बांधो यार !
सेनिटाइज़र से सभी,    कर धोओ हर बार !!
कर धोओ हर बार,     पदत्राण बाहर घर से,
नियमित हो आहार,    गर्म जल पी ऊपर से, ,,
सादा जीवन योग,     जब हर कोइ ये समझा !
विकट नहीं यह रोग,    बचाये करपट गमछा !!... ''तनु''

गमछो करपट दूपटो

गमछो करपट दूपटो,    मुंडा बांधो यार !
सेनिटाइज़र से सभी, हाथ धोव हर बार !!
हाथ धोव हर बार,   पगरखा बायर घर से,  
सात्विक खाजो अन्न,  उनो पाणी ऊपर से, ,, 
सादो जीवन योग ,     बाताँ काम की समझो !
विकट हुयो यो  रोग,       बचाय दूपटो गमछो !!... ''तनु''

Monday, May 18, 2020

हर नार रही उस बंधन में ,

हर नार रही उस बंधन में ,
नर अंगुलि नाच नचावत है!
तन भी अब तो उस ओर चला,
जब डोर पिया बन जावत है!
कजरा, गजरा, सब है नकली,
जिन देख पिया ललचावत है, ,,
हम नाच रही पर प्राण नहीं ,
हम ही पुतली कहलावत है!!... ''तनु''

रूठ बैठा है मुक़द्दर कौन मनाये उसको

रूठ बैठा है मुक़द्दर कौन मनाये उसको !
घिसी हाथों की लकीरें कौन दिखाए उसको !!

फूल ख़ुशबू चमन माली छूटते पीछे सब !
पाँव के नीचे हैं काँटे कौन बताये उसको !!

साथ अपने नहीं जिनकी खातिर जी रहे थे !
मजबूरी, मजदूर की कौन मिलाये उसको !!

एक दीया और बुझता सो गए सारे चराग़ !
रौशनी की किरण से कौन जलाये उसको !!

दर्द के साज के सिवा बजता कोई साज नहीं !
नज़्म खामोश सी गाकर कौन सुनाये उसको !!

मंज़िल कौन सी थी की जहाँ से चला था मैं !
या वहीं जाना है कहाँ कौन जताये उसको !!

कौन मंज़िल पाऊँगा मैं चलूँगा कहाँ तक ?
फूटते पाँवों के छाले कौन दिखाये उसको !!... ''तनु''

Sunday, May 17, 2020

संभलना बिगड़ी हवा है आजकल

संभलना बिगड़ी हवा है आजकल !
दौर मुश्किल फैली वबा है आजकल !!

उसकी फ़ितरत में थी दग़ाबाजियाँ !
खो गया सभी का भरोसा आजकल !!

घबराइये मत सामना भी कीजिये !
रहनुमा ही राहजन बना है आजकल !!

ये रजामंदी है आँधियाँ आती रहे !
दोस्त, तूफ़ां बन गया है आजकल !!

खाइयेगा क्या शफा की खातिर अब !
की जहर बन गया दवा है आजकल !!

कंधा, बाजू, पैर, गिरवी है पेट भी !
भूख पर लगती दफ़ा है आजकल !!... ''तनु''




Monday, May 11, 2020

मन डोर रही इस बंधन की,

मन डोर रही इस बंधन की,
अब अंगुलि नाच नचावत है!
तन भी अब तो उस ओर चला,
अब डोर पिया बन जावत है!
कजरा, गजरा, सब है नकली,
जिन देख जिया ललचावत है, ,,
हम काठ रही पर प्राण भरी,
हम ही पुतली कहलावत है!!... ''तनु''

कब सोय गयी हमरी रसना,

कब सोय गयी हमरी रसना,
अब स्वाद तभी सब खोय गये!
अब काजल पायल ना रुचती,
कित बादल सावन रोय गये!
उसके कहते हम है उठते,
उसके कहते हम सोय रहे, ,,
विधना अब तो यह जान छुड़ा,
मति मारि गयी हम रोय रहे!!.... ''तनु''

''पुतली किरदार निभा सच के,

''पुतली किरदार निभा सच के,
 कहना न कथानक शायद के!
 तुम तो कहना करनी अपनी,
 मत झूठ कभी बहना मद के!!
 तुम जान गयी इस जीवन में,
 तप संयम की महिमा सगरी, ,,
 निज का तप संयम छाँव बने,
 तब धाम बने अँगना सुख के''!!... ''तनु ''

जिसको अपनी कुछ सूझ नहीं,

जिसको अपनी कुछ सूझ नहीं,   किरदार बनी थिरकी पुतली!     
इसकी उसकी धुन नाच रही    मचली फिर ऊंगलियों  पुतली !!
इस जीवन की इक डोर यहाँ,      बिन जीवन ही हँसती पुतली, ,, 
यह जीवन है किस देन यहाँ?     कह काठ बनी गुड़िया पुतली ??
... ''तनु''

आज खुशियों की याद हो जाये

आज खुशियों की याद हो जाये!
की दिल ग़म से आज़ाद हो जाये !!

प्यार देकर सब भूलता जाये !
फिर सभी पर एतमाद हो जाये!!

देने वाले तूने दी दुनिया अच्छी !
रहबर दिया घर आबाद हो जाये !!

जेहन में हों अगर माँ, बहन, बेटी !
कैसे जीना क़ायदा याद हो जाये !!

यूँ सलीके से जिंदगी तुम्हे जीना !
हुनर, बरताव, शऊर ,रूदाद हो जाये!!

''तनु''जो होना है सब अच्छा ही हो !
और भी अच्छा उसके बाद हो जाये !!... ''तनु''

Sunday, May 10, 2020

खुद ही उसने था जताया अपनी आहों से

खुद ही उसने था जताया अपनी आहों से !
डर दिखाया था सभी को इन निगाहों से !!

राह तो मंज़िल से बहुत ही दूर को जाती!
क़ाफ़िला रुकता गया क्यों इन्ही राहों से !!

कह रहा था ख़्वाहिशों का ओर- छोर नहीं !

के हमेशा बच रहना तुम इन गुनाहों से !!

दिल फ़िगार लगा होने टूटती सरपरस्ती !
क्यूँ अचानक मैं गिरा हूँ तेरी पनाहों से !!

अब नया ग़म देखना नहीं, कुछ नया करके !

सीख लेना था अब तक अपने गुनाहों से !!

बैठते शाम- ओ - सहर और करते क्या हो ??

ख्वाहिशें नाशाद हैं इतनी कराहों से ?

आज चलिए चलकर जरा देख 'तनु' लें हम !

बाज़ुओं में दम से इतर दम कितनी बाहों से !!... ''तनु''

Saturday, May 9, 2020

ममता हिय की हिय में न रही,

ममता हिय की हिय में न रही, सुत जाकर कंठ लगाय रही!
पुनि लाल लला कहते कहते, वह नन्दन को दुलराय रही!!
फिर काजर आँज दिया नयना, पग पैंजन भी पहनाय रही, ,,
सगरे जगके जन देख रहे,     जननी हर में  हरि गाय रही!!.... "तनु"

नम आँख नहीं जिनकी विधना

नम आँख नहीं जिनकी विधना, उनसे फिर प्रीत करूँ फिर क्यों !
जब मानव दानव पाल रहे,      उनको फिर मीत  कहूँ  फिर क्यों !!
अपमान हुआ अब देश लुटा,  निज आन अभी फिर दाव लगी, ,, 
बलिदान करूँ अब प्राण मना,  इस जीवन प्रीत करूँ फिर क्यों !!... ''तनु''

Wednesday, May 6, 2020

कफ श्वास बढ़ा सब खाँस रहे

कफ श्वास बढ़ा सब खाँस रहे,  तन ताप रहा बतलाय रहे !
बहते अश्रु भी नयना भर के,   जन कोविड से घबराय रहे! 
यह देश विदेश सभी पसरा, सब काँप रहे इसके डर से, ,, 
यह तो जन से जन को पहुँचा, कर धोय रहो समुझाय रहे !!..''तनु''

कब नैनन प्यास बुझाय मिलूँ , नित भाव बढ़े मिलते उनके ?
कब दूर खड़ी मुस्काय मिलूँ, बदले बदले रुख हैं उनके ?
सच मोहन ही मनभाय रहे, मन मौन भला न कहूँ किससे ??
मन को उनके तडपाय मिलूँ , लिख नाम रटूँ मनके मनके। ... ''तनु''

Tuesday, May 5, 2020

किरणें रवि की सब एक हुईं,

किरणें रवि की सब एक हुईं,    रचती जग की सगरी उपमा, 
मन शूल रचे मन फूल रचे,  भव जान गया कवि की महिमा!
पलती कविता मन में गहरे,    कब फूल बनी जन भाय गयी, ,,   
महकी मन में इतनी हमरे,       सगरे जग को महकाय गयी !! ... ''तनु''

कब नैनन प्यास बुझाय मिलूँ

कब नैनन प्यास बुझाय सकूँ , नित भाव बढ़े मिलते उनके ?
कब दूर खड़ी मुस्काय सकूँ , बदले बदले रुख हैं उनके ?
सच मोहन ही मनभाय रहे, मन मौन भला न कहूँ किससे ??
मन को उनके तडपाय सकूँ, लिख नाम रटूँ मनके मनके। ... ''तनु''

इक आस जगी तुमसे अब तो

हम दीन गरीब दया करना, दिखला कर के अपनी करनी,
हठ आय रहा मन में हमरे,    अब दूर करो कल की भरनी !
कब डूबत हैं घट पाप भरे ?   तिरते तिरते कब फूट परे , ,,
इक आस जगी तुमसे अब तो, भव पार करो हमरी तरनी !!... ''तनु'' 




मदिरा तुम तो न भयी सलिला,

मदिरा तुम तो न भयी सलिला, सब जान गये तुमरी महिमा, 
कुछ बूँद पिये फिर होश न था, सबकी मन भूल गया गरिमा!
तुम तो उथली,  गहरी तुम ही,  मन का तुमरे कब थाह मिला ??
तुम साथ रही चढ़ माथ रही, सब भूल गये अगला - पिछला!!...''तनु''

Monday, May 4, 2020

ज़ख़्म बहते मेरे तमाम, पर मैं घायल कहाँ !

ज़ख़्म बहते मेरे तमाम, पर मैं घायल कहाँ !
खो गए सारे निजाम, अब वे मसायल कहाँ !!

उठ गया है यकीं, इंसा से इंसा दूर है !

ये कैसा जहान ?? कोई अब कायल कहाँ !!

गूँजती खामोशियाँ इस तरह क्या खोजना ??

मिट गए सारे निशान, अब कोई फ़ाज़िल कहाँ !!

सूखती सारी नमी सारे जज़्बे खो गये !
कर गया जो पानी पानी, अब वो बादल कहाँ !!

दिल फ़िगार हुई फ़िज़ा नहीं आएगी कभी !

नहीं दरख्त, खनकती पत्तियों की पायल कहाँ !!

कौर मुँह का देकर बचाते सभी बलाओं से !
सारे सयाने हुए बेकार अब कोई पागल कहाँ !!... ''तनु''



अर्थ की मदिरा मदिरा

अर्थ की मदिरा मदिरा,         और अर्थ है और !
उत्पादन वितरण पर करे, सुबह शाम ओ भोर !!
सुबह शाम ओ भोर,   वो गिर नाली में मरे,  
छोड़ मान मद मोह,   तिजोरी देश की भरे !! 
यह है  व्यय से आय,   अब नहीं होगा अनर्थ  !
गल्प नहीं यह साँच,     ऐसा मदिरा का अर्थ !!... ''तनु''
खो कर छाँव पेड़ों की, छोड़ खेत खलिहान!
संगी साथी छोड़ कर, ले हथेलियों प्रान !! ...
ले हथेलियों प्रान, पहुँचता दूर देश को
रोजी रोटी ख़ास, अपनाता हर वेश को
खातिर अपने पेट ! पसीना अपना बो कर
खुद होता आखेट ! अब रोटियों को खो कर। ..... ''तनु''



खो कर छाँव पेड़ों की, छोड़ खेत खलिहान !
संगी साथी छोड़ कर, ले हथेलियों प्रान !! ...
ले हथेलियों प्रान, पहुँचते महानगर को
रोजी रोटी ख़ास, कमाई गाँव घरों को
खातिर अपने पेट ! पसीना अपना बो कर
सब कुछ मटियामेट ! अब रोटियों को खो कर। .... ''तनु''



Sunday, May 3, 2020

सपने

सपने

चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा
संग पालकी सपने उतरे
लिए नींद का झौंका

सपना तो जीवन अपना सा
कभी कहानी ये सपना सा
छल - छद्म आया नहीं इसमें
कैसा भी हो मौका
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

इनको कोई चुरा न पाएँ
खुद सुनायें खुद भूल जाएँ
और कभी जब याद रहे तो
भूल - भुलैया धोखा
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कभी नींद के सूखे झरने 
खोती नींद बिखरते सपने 
सपनों के मीठे झरने का 
किसने पानी सोखा 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

देख अनोखी डगर सपन की
धरती की या सफर गगन की
कभी इनमें रंग बहुतेरे
मन कितना था चौंका
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कभी कभी खुशबू भी आये
मन लहरों पर तैरा जाए
डूब - डूब कर डर भी जाए
आँख खुले तो धोखा
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कितने सपने सच्चे होते
कितने सपने बच्चे होते
कभी साँप से हम डर जाते 
काटा, कुत्ता भौंका 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

संग घड़ी के टिक-टिक करते 
रुके और फिर - फिर चल पड़ते 
मानों पिछले सपनो का भी
करते लेखा-जोखा 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा,..... ''तनु''








Saturday, May 2, 2020

खुशी होती जीवन में, नहीं छोड़ते गाँव ?


खुशी होती जीवन में, नहीं छोड़ते गाँव ?
छोटी चाहे झोपडी, सुखदायी थी छाँव !!

रोटी के लाले पड़े, रोज़गार की मार !
जीना ही दूभर हुआ, चलना छूरी धार !!

महानगर को पहुँचते, गाँव गली घर छोड़!
कमा कमा घर भेजते, मेहनत हाड तोड़ !!

थमी जा रही जिंदगी, टूट गयी उम्मीद !
रोटी भी मिलती नहीं, नहीं कमाई दीद !!

गठरी ले पैदल चला, अब तो पहुँचूँ गाँव !
दुनिया ये मेरी नहीं, जाऊँ अपने ठाँव !!

यहाँ मरते वहीं मरें, जहाँ हमारी जान !
रोटी न हो अपने हों, ऐसा जी में जान !!

मुट्ठी एक जहान  है,        बंद रही तो लाख! 
खुलते खुलते खुल गयी, हुआ भरोसा ख़ाक !!

नाता जुड़ता शहर से, खातिर अपने पेट !
जब रोटी ही ना मिले, सब कुछ मटियामेट !!

खोकर छाँव बरगद की, छोड़ खेत खलिहान !
संगी साथी छोड़ कर, ले हथेलियों प्रान !! ... ''तनु''