कफ श्वास बढ़ा सब खाँस रहे, तन ताप रहा बतलाय रहे !
बहते अश्रु भी नयना भर के, जन कोविड से घबराय रहे!
यह देश विदेश सभी पसरा, सब काँप रहे इसके डर से, ,,
यह तो जन से जन को पहुँचा, कर धोय रहो समुझाय रहे !!..''तनु''
बहते अश्रु भी नयना भर के, जन कोविड से घबराय रहे!
यह देश विदेश सभी पसरा, सब काँप रहे इसके डर से, ,,
यह तो जन से जन को पहुँचा, कर धोय रहो समुझाय रहे !!..''तनु''
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