मोबाइल से हो रहा, ईद मुबारकबाद !
मिटती कैसे दूरियाँ, भूले सेवइ स्वाद !!
घर बैठे इबादत है, होकर के मजबूर !
दुआएँ दूर दूर से, मजबूरी भरपूर !!
सलामत तुम जहाँ रहो, ऐसी ही है दीद !
दुआ करूँगा मैं यही, फिर आयेगी ईद !!
कितनी है मजबूरियाँ, ईद मिलन में आज !
घर में पढ़ी नमाज है, कौन सुने आवाज़ !!
छूटता रोज़गार है, टूटे खरीददार !
ठंढा सा बाजार है, सूने से त्यौहार !!
अपने जीवन में कभी, देखा ऐसा काल !
कोरोना ने कर दिया, जीना अभी मुहाल !!
माना मैं इस साल में , कर ना पाया दीद !
कोरोना कारण बना, सपने हुए शहीद !!
दरकिनार करके मिला, मन के सारे चाव !
सो गयी सारी खुशियाँ, खोने लगते भाव !!... ''तनु''
मिटती कैसे दूरियाँ, भूले सेवइ स्वाद !!
घर बैठे इबादत है, होकर के मजबूर !
दुआएँ दूर दूर से, मजबूरी भरपूर !!
सलामत तुम जहाँ रहो, ऐसी ही है दीद !
दुआ करूँगा मैं यही, फिर आयेगी ईद !!
कितनी है मजबूरियाँ, ईद मिलन में आज !
घर में पढ़ी नमाज है, कौन सुने आवाज़ !!
छूटता रोज़गार है, टूटे खरीददार !
ठंढा सा बाजार है, सूने से त्यौहार !!
अपने जीवन में कभी, देखा ऐसा काल !
कोरोना ने कर दिया, जीना अभी मुहाल !!
माना मैं इस साल में , कर ना पाया दीद !
कोरोना कारण बना, सपने हुए शहीद !!
दरकिनार करके मिला, मन के सारे चाव !
सो गयी सारी खुशियाँ, खोने लगते भाव !!... ''तनु''
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