Labels

Monday, May 4, 2020

खो कर छाँव पेड़ों की, छोड़ खेत खलिहान!
संगी साथी छोड़ कर, ले हथेलियों प्रान !! ...
ले हथेलियों प्रान, पहुँचता दूर देश को
रोजी रोटी ख़ास, अपनाता हर वेश को
खातिर अपने पेट ! पसीना अपना बो कर
खुद होता आखेट ! अब रोटियों को खो कर। ..... ''तनु''



No comments:

Post a Comment