पैर रोजी के हित भगाने की आदत हो गयी !
जहर पीने औ ग़म खाने की आदत हो गयी!!
सुलगती रही गरीबों के लिये चिता भूख पर !
मजदूरी में जीवन गँवाने की आदत हो गयी!!
बेबस सड़क के किनारे खानाबदोश मजबूर!
बच्चों को भूखा सुलाने की आदत हो गयी !!
गर्दन झुकी नीची नज़रें जो दिया सो ले लिया!
गर्दन झुकी नीची नज़रें जो दिया सो ले लिया!
हरेक जुल्म दिल से भुलाने की आदत हो गयी !!
यूँ सफर कब रहा गुलाबी रंज-ओ-गम थे !
आबले पाँव, पत्त्थर चबाने की आदत हो गयी !!
रोटियाँ खाऊँ कहाँ से है साँस भी कर्ज में !
किश्त दर साँस चुकाने की आदत हो गयी !!... ''तनु''
आबले पाँव, पत्त्थर चबाने की आदत हो गयी !!
रोटियाँ खाऊँ कहाँ से है साँस भी कर्ज में !
किश्त दर साँस चुकाने की आदत हो गयी !!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment