रीते कागज रह गये, नहीं बने हैं छंद,
इन्द्रधनुष के रंग से, मिले नहीं मकरंद !
इन्द्रधनुष के रंग से, मिले नहीं मकरंद !
मिले नहीं मकरंद , छंद बादल की तरिणी,
भाव बहे स्वच्छंद, चले जो चंचल हरिणी !!
सुंदर हों उद्गार, कमल ज्यों सरुवर खिलते !
लेखन में हो सार, रहें ना कागज रीते!!... ''तनु''
भाव बहे स्वच्छंद, चले जो चंचल हरिणी !!
सुंदर हों उद्गार, कमल ज्यों सरुवर खिलते !
लेखन में हो सार, रहें ना कागज रीते!!... ''तनु''
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