किरणें रवि की सब एक हुईं, रचती जग की सगरी उपमा,
मन शूल रचे मन फूल रचे, भव जान गया कवि की महिमा!
पलती कविता मन में गहरे, कब फूल बनी जन भाय गयी, ,,
महकी मन में इतनी हमरे, सगरे जग को महकाय गयी !! ... ''तनु''
मन शूल रचे मन फूल रचे, भव जान गया कवि की महिमा!
पलती कविता मन में गहरे, कब फूल बनी जन भाय गयी, ,,
महकी मन में इतनी हमरे, सगरे जग को महकाय गयी !! ... ''तनु''
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