रूठ बैठा है मुक़द्दर कौन मनाये उसको !
घिसी हाथों की लकीरें कौन दिखाए उसको !!
फूल ख़ुशबू चमन माली छूटते पीछे सब !
घिसी हाथों की लकीरें कौन दिखाए उसको !!
फूल ख़ुशबू चमन माली छूटते पीछे सब !
पाँव के नीचे हैं काँटे कौन बताये उसको !!
साथ अपने नहीं जिनकी खातिर जी रहे थे !
मजबूरी, मजदूर की कौन मिलाये उसको !!
एक दीया और बुझता सो गए सारे चराग़ !
रौशनी की किरण से कौन जलाये उसको !!
दर्द के साज के सिवा बजता कोई साज नहीं !
नज़्म खामोश सी गाकर कौन सुनाये उसको !!
मंज़िल कौन सी थी की जहाँ से चला था मैं !
या वहीं जाना है कहाँ कौन जताये उसको !!
कौन मंज़िल पाऊँगा मैं चलूँगा कहाँ तक ?
फूटते पाँवों के छाले कौन दिखाये उसको !!... ''तनु''
साथ अपने नहीं जिनकी खातिर जी रहे थे !
मजबूरी, मजदूर की कौन मिलाये उसको !!
एक दीया और बुझता सो गए सारे चराग़ !
रौशनी की किरण से कौन जलाये उसको !!
दर्द के साज के सिवा बजता कोई साज नहीं !
नज़्म खामोश सी गाकर कौन सुनाये उसको !!
मंज़िल कौन सी थी की जहाँ से चला था मैं !
या वहीं जाना है कहाँ कौन जताये उसको !!
कौन मंज़िल पाऊँगा मैं चलूँगा कहाँ तक ?
फूटते पाँवों के छाले कौन दिखाये उसको !!... ''तनु''
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