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Sunday, May 17, 2020

संभलना बिगड़ी हवा है आजकल

संभलना बिगड़ी हवा है आजकल !
दौर मुश्किल फैली वबा है आजकल !!

उसकी फ़ितरत में थी दग़ाबाजियाँ !
खो गया सभी का भरोसा आजकल !!

घबराइये मत सामना भी कीजिये !
रहनुमा ही राहजन बना है आजकल !!

ये रजामंदी है आँधियाँ आती रहे !
दोस्त, तूफ़ां बन गया है आजकल !!

खाइयेगा क्या शफा की खातिर अब !
की जहर बन गया दवा है आजकल !!

कंधा, बाजू, पैर, गिरवी है पेट भी !
भूख पर लगती दफ़ा है आजकल !!... ''तनु''




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