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Tuesday, May 5, 2020

इक आस जगी तुमसे अब तो

हम दीन गरीब दया करना, दिखला कर के अपनी करनी,
हठ आय रहा मन में हमरे,    अब दूर करो कल की भरनी !
कब डूबत हैं घट पाप भरे ?   तिरते तिरते कब फूट परे , ,,
इक आस जगी तुमसे अब तो, भव पार करो हमरी तरनी !!... ''तनु'' 




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