हम दीन गरीब दया करना, दिखला कर के अपनी करनी,
हठ आय रहा मन में हमरे, अब दूर करो कल की भरनी !
कब डूबत हैं घट पाप भरे ? तिरते तिरते कब फूट परे , ,,
इक आस जगी तुमसे अब तो, भव पार करो हमरी तरनी !!... ''तनु''
हठ आय रहा मन में हमरे, अब दूर करो कल की भरनी !
कब डूबत हैं घट पाप भरे ? तिरते तिरते कब फूट परे , ,,
इक आस जगी तुमसे अब तो, भव पार करो हमरी तरनी !!... ''तनु''
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