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Sunday, May 3, 2020

सपने

सपने

चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा
संग पालकी सपने उतरे
लिए नींद का झौंका

सपना तो जीवन अपना सा
कभी कहानी ये सपना सा
छल - छद्म आया नहीं इसमें
कैसा भी हो मौका
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

इनको कोई चुरा न पाएँ
खुद सुनायें खुद भूल जाएँ
और कभी जब याद रहे तो
भूल - भुलैया धोखा
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कभी नींद के सूखे झरने 
खोती नींद बिखरते सपने 
सपनों के मीठे झरने का 
किसने पानी सोखा 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

देख अनोखी डगर सपन की
धरती की या सफर गगन की
कभी इनमें रंग बहुतेरे
मन कितना था चौंका
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कभी कभी खुशबू भी आये
मन लहरों पर तैरा जाए
डूब - डूब कर डर भी जाए
आँख खुले तो धोखा
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

कितने सपने सच्चे होते
कितने सपने बच्चे होते
कभी साँप से हम डर जाते 
काटा, कुत्ता भौंका 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा

संग घड़ी के टिक-टिक करते 
रुके और फिर - फिर चल पड़ते 
मानों पिछले सपनो का भी
करते लेखा-जोखा 
चमकती पलकों की गलियाँ
दिया स्पर्श अनोखा,..... ''तनु''








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