जिसको अपनी कुछ सूझ नहीं, किरदार बनी थिरकी पुतली!
इसकी उसकी धुन नाच रही, मचली फिर ऊंगलियों पुतली !!
इस जीवन की इक डोर यहाँ, बिन जीवन ही हँसती पुतली, ,,
यह जीवन है किस देन यहाँ? कह काठ बनी गुड़िया पुतली ??
... ''तनु''
इसकी उसकी धुन नाच रही, मचली फिर ऊंगलियों पुतली !!
इस जीवन की इक डोर यहाँ, बिन जीवन ही हँसती पुतली, ,,
यह जीवन है किस देन यहाँ? कह काठ बनी गुड़िया पुतली ??
... ''तनु''
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