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Wednesday, March 11, 2015

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फेसबुक की मैं अलख जगाऊँ !
घुस इसमें फिर निकल न पाऊँ !! 


चटकीली चमकी सी दुनिया,
बिना फूल महकी सी दुनिया !
झूठे प्रेम के फूल खिलाऊँ ,
झूठे मुरझाऊँ खूब रुलाऊँ !!… फेसबुक की


इसको टेगू उसको टेगू !
लाइक न करे निकाल फेंकूँ !!
चलो कुछ नए दोस्त बनाऊँ !
अपनी पोस्ट के लाईक्स बढ़ाऊँ!!…  फेसबुक की 


ऊपर से बोलूँ लुक एट मी !
अंदर से बोलूँ डोंट टैग मी !!
पी गुस्सा मुस्कान बढाऊँ !
शब्दों से आभार जताऊँ !!....  फेसबुक की 


देख कमेंट में कितना दम है ! 
मुस्काता ये कदम कदम है !!
इस पर अपनी जान लुटाऊँ !
कभी न लिखा इतना लिख जाऊँ !!… फेसबुक की


चेहरे का क्या , बिल्ली हो !
माता, भेरू की सिल्ली हो !!
बोर्न डेट बिन बोर्न कहाऊँ !
परिचय अपना ना दिखाऊँ !!… फेसबुक की


कौन मुझे पहचाने फिर ? 
जान जाए तो नोचे सिर ??
ओझल हो फिर दिख जाऊँ ?
इसीलिए आभासी कहलाऊँ  ,,,,,,,,,,फेसबुक की


मीठी चर्चा ये मीठी बात है !
शुभसंध्या औ शुभप्रभात है !!
केन्डी क्रेश के पहाड़ लगाऊँ !!!!!!!!!!!!
सता  सता  सबको इतराऊँ ,,,,फेसबुक की


जो स्थापित हैं पहले से !

वे नहले पर हैं दहले से !!
संशय अपना तोड़ न पाऊँ !
गुत्थी को कैसे सुलझाऊँ ,,,,,,, फेसबुक की


रोटी के साथ हो अचार
सिर्फ दो ही को दो आभार 
दिन को खींचे खींचे जाऊँ 
तभी रचनाकार कहाऊँ ,,,,,,फेसबुक की  


आया एक अभागा बन्दा 
गाँठ का पूरा नयन का अंधा 
दौड़ उसको मित्र बनाऊँ 
कमेंट डाल उसको ललचाऊँ ,,,,फेसबुक की 


उसकी रचना पर वाह !!!वाह !!!
उसके दुखों पर आह !!!आह !!!
फिर सींग वाला गधा बन जाऊँ 
बिलकुल ऐसे गायब हो जाऊँ ,,,,,,,,फेसबुक की 



कौन बताओ है इससे दूर ?
कौन कितना है मशहूर?? 
बहुत प्यार मैं इससे पाऊँ ,
इसके बिना मैं रह न पाऊँ ,,,,,,,,,,,,,,फेसबुक की


फिर भी कहती हूँ ज़रूर !
कभी न होना इससे दूर !!
दूर होकर भी पास कहाऊँ !
अपने मन की बात जताऊँ!!

फेसबुक की मैं अलख जगाऊँ !
घुस इसमें फिर निकल न पाऊँ !!…… ''तनु ''








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