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Monday, March 2, 2015

फागुन आया बाँह पसारे;
 लिए रंगों के थाल,
टेसू  फूला सूरज संग!
हुए ऊषा के गाल लाल!!! …फागुन आया

पीली धूप पसरती चलती;
धरती चमकीली लगती,
फागुन में लम्बी बयार;
सर्दी अब धीमे धीमे ढलती ,
दूकानों में सजी गुलाल !
टेसू की अधखिली है डाल !!! … फागुन आया

दहन होलिका जली बुराई ;
नए धान की हुई सिकाई,
होली में नन्हे की ढूँढ ;
ये हुई नजर उतराई ,
नानी दादी का नन्हा लाल!
निखरा हुआ कैसा जमाल !!!…  फागुन आया

ऐसी होली ऐसा खुमार ;
लुत्फ़ उठाना  बेशुमार,
धूमधाम से मने होली;
दूर करो असुर  अहंकार ,
रंग दो रंग दो सबके भाल !
दूर कर सारे जंजाल!!!…  फागुन आया








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