फागुन आया बाँह पसारे;
लिए रंगों के थाल,
टेसू फूला सूरज संग!
हुए ऊषा के गाल लाल!!! …फागुन आया
पीली धूप पसरती चलती;
धरती चमकीली लगती,
फागुन में लम्बी बयार;
सर्दी अब धीमे धीमे ढलती ,
दूकानों में सजी गुलाल !
टेसू की अधखिली है डाल !!! … फागुन आया
दहन होलिका जली बुराई ;
नए धान की हुई सिकाई,
होली में नन्हे की ढूँढ ;
ये हुई नजर उतराई ,
नानी दादी का नन्हा लाल!
निखरा हुआ कैसा जमाल !!!… फागुन आया
ऐसी होली ऐसा खुमार ;
लुत्फ़ उठाना बेशुमार,
धूमधाम से मने होली;
दूर करो असुर अहंकार ,
रंग दो रंग दो सबके भाल !
दूर कर सारे जंजाल!!!… फागुन आया
लिए रंगों के थाल,
टेसू फूला सूरज संग!
हुए ऊषा के गाल लाल!!! …फागुन आया
पीली धूप पसरती चलती;
धरती चमकीली लगती,
फागुन में लम्बी बयार;
सर्दी अब धीमे धीमे ढलती ,
दूकानों में सजी गुलाल !
टेसू की अधखिली है डाल !!! … फागुन आया
दहन होलिका जली बुराई ;
नए धान की हुई सिकाई,
होली में नन्हे की ढूँढ ;
ये हुई नजर उतराई ,
नानी दादी का नन्हा लाल!
निखरा हुआ कैसा जमाल !!!… फागुन आया
ऐसी होली ऐसा खुमार ;
लुत्फ़ उठाना बेशुमार,
धूमधाम से मने होली;
दूर करो असुर अहंकार ,
रंग दो रंग दो सबके भाल !
दूर कर सारे जंजाल!!!… फागुन आया
No comments:
Post a Comment