Labels

Thursday, March 5, 2015


सूनो आँगण सूनी राताँ मिठ्ठा बोल कुण सुणावै ;
कान्हा भी नी गोपी भी नी,  मीत वना होरी नी !

कलेस जावै दरद भागै कोयल कूके गीत सुणावै;
अब थें भी गावो म्हे भी गावाँ, प्रीत वना होरी नी !

फागण आवै रंग लावै झूमें गोरी नाचे गावै ;
ढप नी  बाजै चंग नी बाजै, गीत वना होरी नी !

वसंत आवै सुगंध लावै फागण में रस बरसावै;
बारूद री दुर्गन्ध नी भावै, रीत वना होरी नी !

हिवड़ो हरखै नैणा वरसै प्रीत पुराणी सरसै ;
मनड़ो गावै मीत मनावै, जीत वना होरी नी !… ''तनु ''

No comments:

Post a Comment