सूनो आँगण सूनी राताँ मिठ्ठा बोल कुण सुणावै ;
कान्हा भी नी गोपी भी नी, मीत वना होरी नी !
कलेस जावै दरद भागै कोयल कूके गीत सुणावै;
अब थें भी गावो म्हे भी गावाँ, प्रीत वना होरी नी !
फागण आवै रंग लावै झूमें गोरी नाचे गावै ;
ढप नी बाजै चंग नी बाजै, गीत वना होरी नी !
वसंत आवै सुगंध लावै फागण में रस बरसावै;
बारूद री दुर्गन्ध नी भावै, रीत वना होरी नी !
हिवड़ो हरखै नैणा वरसै प्रीत पुराणी सरसै ;
मनड़ो गावै मीत मनावै, जीत वना होरी नी !… ''तनु ''
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