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Thursday, March 19, 2015

माँ !!!
चुटकी 
भर धूप  
से भी भर देती
संस्कारों की गर्मी,,, 
अपनी 
साँस से  !!!
देती जीवन 
बालिश्त भर
जमीं सी 
तुम  
देती जीवन
भर का प्यार 
दुलार ,,, 
आँख भर समंदर !!!
जो सींचने के 
काम है आता
अपनी
औलादों के पथ ,,,
झिर्री भर !!! 
आसमान से
उड़ा देती 
नन्हों को 
उनके पंखों को 
सिखा उड़ना ,,,,
फिर, 
कहती लो 
और मैं तुम्हारे लिए 
और क्या करूँ ???

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