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Kaavya
Monday, March 9, 2015
अमिय मय धरा सरसी,
बूँदे झनक उठी
मुरली बाजी कान्हा ,चूड़ी खनक उठी
कान्ह कान्ह कह
शरद में विभाकर भी !!!
कान्हा निरखें गोपी,
राधा ठनक उठी ,,,,,,,,,,,,''तनु ''
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