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Thursday, March 5, 2015

चाँद से 

तू अकेला कई रूप का तुझे  रंग की क्या जरुरत ;
तू नशीला मनभावना तुझे भंग की क्या जरुरत !

तारों की लिए बारात चले तू तेरे संगी साथी कई ;
तू निराला चाँदनी वाला तुझे संग की क्या जरुरत ! 

कभी टुकड़ा कभी अधूरा कभी पूरा है गोला तू ;
तू सजीला तू रुपहला तुझे ढंग की क्या जरूरत !

लिए चाँदनी और निखर जा जीवन में सबके उतर जा ;
शम्भू तू शम्भू के सिर तू तुझे उतंग की क्या जरुरत !

तुझसे ज्वार तुझसे भाटा जीवन से तेरा है नाता ;
तू हँसाता तू रुलाता तुझे उमंग की क्या जरुरत ! …… ''तनु ''

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