Labels

Friday, March 20, 2015

नवसंवत्सर ऐसा हो 

सिर्फ जीने की चाह न हो 
किसी लब पर आह न हो 
शुभ नव संवत्सर हो सदैव 
दीन दुखी की कराह न हो 

चलो मरुभूमि सरसाएँ 
अँधियारो में दीप जलाएँ 
मंगलकारी नव वर्ष हो 
सत्काम संकल्प कर जाएँ 

देशी पहनो देशी खाओ
मातृभूमि पर जान लुटाओ 
प्रेम मन्त्र है नए साल का 
आओ मिल इसे निभाओ 

शुभ चिंतक बन सँवारो 
चरैवेति से कर्म निखारो 
श्रांत क्लांत होकर न बैठो 
नित शुभ शुभ को उचारो 

उपकारी हो विद्वान बने 
यशस्वी और विनीत बने 
नवसंवत्सर सुरभित हो जाए 
सृष्टि उपवन के पुष्प बने ,,,,,'' तनु ''


No comments:

Post a Comment